सीतापुर: जिले में एक किसान इतवारी को लेखपाल ने कागजों में मृत घोषित कर दिया. किसान इतवारी को स्वयं को जिंदा साबित करने में पूरे 15 महीने लग गए. जब वह एसडीएम बिसवां अनुपम मिश्रा के पास पहुंचे तो एसडीएम ने उनको न्याय देते हुए तत्काल मामले को संज्ञान में लिया और किसान इतवारी को कागजों में जीवित कर दिया.
जानें पूरा मामला
जिले की तहसील बिसवां इलाके के पकरिया मजरा रेवान गांव में इतवारी पुत्र नंदा और पासी इतवारी पुत्र नंदन रहते थे. पासी इतवारी नंदन की मौत होने के बाद उनके तीन बेटों लालता, विजयपाल और छोटे के नाम किसान इतवारी की साढ़े 3 बीघा जमीन वरासत में दर्ज हो गई. किसान इतवारी और उसका इकलौता बेटा जब गन्ने का सट्टा बनवाने पहुंचे तब उन्हें पता चला की इतवारी तो अब जिंदा ही नहीं हैं. यह सुनकर वह हैरान रह गया. जिसके बाद किसान इतवारी ने स्वयं को जिंदा साबित करने के लिए लड़ाई लड़नी शुरू की और 15 माह तक वह अफसरों के चक्कर काटता रहा. इसके बाद बिसवां तहसील क्षेत्र के पकरिया मजरा रेवान गांंव निवासी किसान इतवारी ने आईजीआरएस में शिकायत दर्ज कराई थी. हाल ही में बिसवां के एसडीएम बने अनुपम मिश्रा ने पूरे मामले की जांच कराई. 17 फरवरी 2020 को लेखपाल लालता द्वारा इतवारी को कागजो में मृतक दिखा दिया गया था. जिसे उप जिलाधिकारी बिसवां अनुपम मिश्रा ने निरस्त करते हुए उसके खाते पर दर्ज नाम लालता, विजय पाल और छोटे पुत्रगण इतवारी नंदन को निरस्त करते हुए खाते पर दोबारा इतवारी पुत्र नंदा को 17 मई 2021 को दर्ज करा दिया. इस संबंध में लेखपाल को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है.