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भदोही: 13 साल से बिना आंत वाली बेटी को लेकर पिता खा रहा है दर-दर की ठोकरें

उत्तर प्रदेश के भदोही में 13 साल की प्रियंका के शरीर में बचपन से बड़ी आंत नहीं है. बेटी का इलाज कराते हुए पिता की आर्थिक हालात खराब हो चुकी है. इस वजह से वह अपने दूसरे बच्चों के पढ़ाई और घर के अन्य खर्च भी नहीं चला पा रहे हैं.

बेटी के इलाज के लिये भटक रहा पिता.

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Published : Jul 21, 2019, 10:24 AM IST

भदोही:जब लोगों के घर में नन्हे बच्चों की किलकारियां गूंजती हैं तो पूरा परिवार खुशी और आनंद में डूब जाता है. गोपीगंज में एक परिवार ऐसा भी है जहां बच्ची के पैदा होते ही परिवार की खुशियां गम में बदल गयीं. जब परिवार वालों को यह पता चला कि उनके घर जो बच्ची पैदा हुई है, उसकी शरीर में बड़ी आंत नहीं है.

डॉक्टरों ने काफी प्रयास के बाद बच्ची के शरीर में मल का रास्ता नली लगाकर बना तो दिया, लेकिन तब से प्रियंका अपने मां बाप के लिए परेशानियों का सबब बनती जा रही है. 13 साल से लगातार प्रियंका का इलाज कराते हुए उनके पिता ईश्वर चंद्र विश्वकर्मा की आर्थिक हालात खराब हो चुकी है. इनकी बेटी प्रियंका बचपन से ही दवाओं पर जिंदा है और उसपर प्रतिदिन का 350 रुपये का दवाइयों का खर्च है.

बेटी के इलाज के लिये भटक रहा पिता.

ईश्वरचंद मैकेनिक का काम करते हैं और उनके 3 बच्चे हैं. प्रियंका के इलाज की वजह से उनका पूरा परिवार तंगहाली से गुजर रहा है. इस वजह से वह अपने दूसरे बच्चों के पढ़ाई और घर के अन्य खर्च भी नहीं चला पा रहे हैं. बच्ची के इलाज के लिए बीते 8 सालों से पिता सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. उन्होंने स्थानीय प्रशासन से लेकर केंद्र सरकार तक इसकी गुहार लगाई. वह बच्ची के इलाज के लिए डीएम, सीएमओ, सांसद, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक को खत लिख चुके हैं लेकिन आज तक प्रशासन की तरफ से उनको कोई मदद नहीं मिली है.

प्रियंका के पिता उसका स्कूल में दाखिला कराना चाहते हैं, लेकिन प्रियंका की बड़ी आंत न होने की वजह से उसको हर आधे घंटे पर शौचालय जाना पड़ता है, जिसकी वजह से कोई भी स्कूल उसका एडमिशन नहीं लेना चाहता है. पीएम मोदी के डीएलडब्लू आने पर पिता ईश्वरचंद खून से लिखा पत्र लेकर पीएम से गुहार लगाने के लिए ले गए थे, ताकि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक उनकी बात पहुंच पाए, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया था. ऐसे में असहाय पिता अपनी बेटी को लेकर दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर है.

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