उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

इन वजहों से बदली गई भदोही सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त की सीट

भदोही से वीरेंद्र सिंह को टिकट नहीं मिलने के बाद से राजनीतिक उठापटक और सरगर्मी काफी तेज हो चुकी है. बीजेपी के स्थानीय नेता और बाहरी नेता जो बीजेपी में अपनी जमीन तलाश रहे हैं.

By

Published : Mar 27, 2019, 5:32 PM IST

वीरेंद्र सिंह

भदोही : स्थानीय सांसद और भाजपा राष्ट्रीय किसान मोर्चा के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त को भदोही से टिकट न देकर उनके गृह जिला से टिकट दिया गया है. भदोही से वीरेंद्र सिंह को टिकट नहीं मिलने के बाद से राजनीतिक उठापटक और सरगर्मी काफी तेज हो चुकी है. बीजेपी के स्थानीय नेता और बाहरी नेता जो बीजेपी में अपनी जमीन तलाश रहे हैं उनके लिए रास्ता साफ हो चुका है. वहीं अफवाहों का बाजार गरम है. सीट बदलने के बाद से ही सोशल मीडिया पर स्थानीय नेताओं के समर्थक अपने-अपने नेताओं को टिकट मिलने की बातें कर रहे हैं

जानकारी देता संवाददाता.
मोदी लहर में 2014 आम चुनाव से भदोही लोकसभा सीट से सांसद बने वीरेंद्र सिंह को दोबारा उस तरीके से जन समर्थन नहीं मिलने का अंदेशा था. इसको देखते हुए बीजेपी ने उनका टिकट यहां से बदल दिया. इसके बाद जो सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी के लिए सामने आई वह सपा और बसपा के गठबंधन के बाद आई. भदोही लोकसभा सीट के समीकरण को देखा जाए तो यहां 1700000 वोटरों में सबसे अधिक ब्राह्मण और बिंद वोटर हैं. यहां ब्राह्मण 3 से 3.50 लाख वोटर हैं. वहीं बिंद भी ढाई से तीन लाख वोटर हैं.

गठबंधन ने जातिगत आंकड़े को देखते हुए रंगनाथ मिश्र को अपना लोकसभा प्रभारी घोषित कर दिया है. हालांकि उनका टिकट बीएसपी से तय माना जा रहा है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने स्थानीय सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट कांटा है. क्योंकि यह सीट क्षत्रिय प्रत्याशी के लिए अनुकूल नहीं थी अब बीजेपी यहां से किसी विन्द या ब्राह्मण को टिकट दे सकती है.

दूसरी वजह टिकट कटने की यह मानी जा रही है कि वीरेंद्र सिंह के प्रति स्थानीय नेताओं और यहां के स्थानीय लोगों में उनके प्रति काफी आक्रोश था. सबकी एक ही शिकायत होती थी कि वीरेंद्र सिंह मस्त कभी भी किसी को समय नहीं देते थे. यहां तक कि वह सांसद होने के बावजूद भी कभी-कभार ही किसी कार्यक्रम में दिखते थे. 5 सालों में कोई कनेक्शन नहीं बना पाए थे. पैराशूट प्रत्याशी होने के कारण उन पर यह हमेशा आरोप लगता रहा. बाहरी प्रत्याशी होने की वजह से स्थानीय नेताओं के साथ भी उनका सामंजस्य उस तरीके का नहीं था, जिस तरीके का संगठन सोच रही थी.

इन प्रत्याशियों को मिल सकता है टिकट
अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि बीजेपी गठबंधन के खिलाफ किसे अपना प्रत्याशी बनाती है. हालांकि बीजेपी स्थानीय नेताओं के अलावा बाहरी नेताओं पर भी दांव खेल सकती है. अगर स्थानीय नेताओं की बात करें तो सबसे पहला नाम ज्ञानपुर से निर्दलीय विधायक विजय मिश्रा का आता है, क्योंकि वह लगातार बीजेपी के संपर्क में बने हुए हैं. इसके अलावा 2009 में बीएसपी से सांसद रहे गोरखनाथ पांडे भी टिकट के दौर में शामिल हैं. वहीं अगर बाहरी प्रत्याशियों की बात करें तो राकेश धर त्रिपाठी जो 2014 में बसपा के टिकट से भदोही लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ चुके हैं. वहीं बिंद को ध्यान में रखते हुए रमेश बिंद को भी टिकट दिया जा सकता है जो मझमा से बसपा के टिकट पर तीन बार से विधायक रह चुके हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details