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भदोही: धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा कालीन उद्योग, जानें क्या कहते हैं कारोबारी

कोरोना वायरस महामारी में ठप पड़ा कालीन उद्योग अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. भारत से 12 हजार करोड़ की कालीन विदेशों में निर्यात की जाती है. इसमें एक बड़ा हिस्सा कालीन नगरी भदोही का है.

carpet industry recover slowly
निर्यातकों-उद्यमियों का दावा है कि 30 फीसदी काम पटरी पर लौटा है.

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Published : Jul 14, 2020, 12:57 PM IST

भदोही: कोरोना वायरस महामारी और दुनिया भर में लॉकडाउन के असर से ठप पड़ा कालीन उद्योग अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. कमोबेश पूरी तरह निर्यात पर निर्भर कारपेट इंडस्ट्री के लिए राहत भरी बात है कि कई आयातक देशों से थोड़ी-बहुत कालीन की मांग भी आने लगी है. इसके साथ ही तमाम फैक्ट्रियों में काम भी शुरू हो चुके हैं. उद्यमियों के मुताबिक, करीब 30 फीसदी काम पटरी पर लौटा है. मगर कोरोना का कहर बढ़ा और पहले जैसा स्थितियों से दोबारा सामना करना पड़ा, तो कारोबार एक बार फिर ठप हो सकता है.


भारत की कारपेट इंडस्ट्री वैश्विक तौर पर कालीन के कारोबार में बेहद महत्व रखती है. भारत से 12 हजार करोड़ की कालीन विदेशों में निर्यात की जाती है. इसमें एक बड़ा हिस्सा कालीन नगरी भदोही का है. यहां इससे करीब एक लाख से अधिक लोगों का कारोबार जुड़ा है. अमेरिका-यूरोप कालीन का सबसे बड़ा आयातक देश है. मगर ये देश कोरोना के कारण खुद काफी परेशान हैं. दूसरी तरफ भारत में भी कोरोना के कारण सभी काम-धंधे लगभग ठप रहे. सरकार ने लॉकडाउन को जब से अनलॉक करना शुरू किया और विदेशों में भी अनलॉक की प्रक्रिया बढ़ी, तो लोग कोरोना के साथ जीना सीख गए. कालीन उद्योग भी अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है.

30 फीसदी काम पटरी पर लौटा है
निर्यातकों-उद्यमियों का दावा है कि 30 फीसदी काम पटरी पर लौटा है. मगर आगे अगर कोरोना का कहर बढ़ा, तो यह उद्योग फिर ठप हो जाएगा. उद्यमी दोबारा उद्योग ठप होने से आशंकित हैं. निर्यातकों के मुताबिक, कालीन उद्योग में अनिश्चितता का दौर है. पहले ही कोरोना के कारण यह उद्योग एक से दो वर्ष पीछे चला गया है.

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