भदोही: जनपद में कालीन के कारोबार से सैकड़ों बुनकरों का घर चलता है. देश मे लगे लॉकडाउन का इस कारोबार पर गहरा असर पड़ रहा है. निर्यातक बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से 2 हजार करोड़ रुपये का नुकसान कालीन के कारोबार को हुआ है.
करोड़ों के आर्डर पर माल तैयार होकर भी लॉकडाउन की वजह से एक्सपोर्ट नहीं हो पाए. ऐसे में जनपद के कालीन कारोबारी ने मांग की है कि अगर हमें काम करने की छूट मिलती है तो हम सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए काम करेंगे.
कालीन व्यवसाय पर लॉकडाउन का असर बुनकरों पर कहर बन टूटा लॉकडाउन
इस संकट की घड़ी में बुनकरों के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया है. बुनकरों का कहना है कि कारोबार शुरू होने से वो अपने परिवार का पेट आसानी से भर सकेंगे. लॉकडाउन के दौरान जितनी भी जमापूंजी थी खत्म हो गयी है, उनका घर चला पाना मुश्किल हो गया है.
औराई विधानसभा में स्थिति द्विवेदी कार्पेट के सुरेश द्विवेदी का कहना कि लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार बुनकरों पर पड़ी है. कालीन का काम कई महीने का होता है. ज्यादातर बुनकर भी गांवों में ही हैं.
दूसरे काम में न लग जाए बुनकर
औराई विधानसभा में स्थित अजंनी कार्पेट के पीयूष बरनवाल ने बताया कि यदि कोरोना से शुरू हुई आफत और बढ़ती चली गई तो ये बुनकरों को निगल जाएगी. जैसे-जैसे बाजार में मांग गिरती जाएगी वैसे-वैसे कालीन बनाने का काम ठप होता जाएगा. ऐसे में आशंका ये है कि ऐसे हालात में बुनकर दूसरे कामों में न लग जाएं. एक बार ऐसा शुरू हो गया तो फिर इसे रोका नहीं जा सकता और न ही इसका विकल्प तैयार किया जा सकता है.