उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

सहारनपुर: उत्तर भारत का दूसरा सिद्धपीठ है मां शाकुम्भरी देवी मंदिर, लाखों श्रदालु करते है दर्शन

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में मां छोटी पहाड़ियों के बीच स्थित माता शाकुम्भरी देवी मंदिर उत्तर भारत में दूसरा स्थान रखता है. माता के दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

By

Published : Jan 4, 2020, 2:42 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

etv bharat
दूसरे स्थान पर है मां शाकुम्भरी मंदिर.

सहारनपुर:सिद्धपीठ मां वैष्णोदेवी मंदिर के बाद सहारनपुर की छोटी पहाड़ियों के बीच स्थित माता शाकुम्भरी देवी मंदिर उत्तर भारत में दूसरा स्थान रखता है. शाकुम्भरी देवी के दर्शन करने कई राज्यों से लाखों श्रदालु पहुंचते हैं. तहसील बेहट इलाके की शिवालिक पहाड़ियों के बीच बने इस भव्य मंदिर में श्रदालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है.

दूसरे स्थान पर है मां शाकुम्भरी मंदिर.

मां के दर्शन के बाद पूरी होती है मनोंकामना
लोगों की मान्यता है कि मां शाकुम्भरी देवी के दर्शनों को करने के बाद श्रद्धालु सभी मनोकामना से परिपूर्ण हो जाता है. खास बात यह है कि यहां नवरात्रों के दिनों में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. लगातार बढ़ती श्रदालुओं की संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने साल में दो बार नवरात्रों में लगने वाले इन मेलों को राजकीय मेला घोषित कर दिया है. इस पवित्र मेले में हरियाणा, पंजाब, समेत कई जगहों से लोग मां के दर्शन करने आते हैं.

हजारों श्रद्धालु उमड़ते है दर्शन के लिए
शिवालिक की पहाड़ियों के बीच यह सिद्धपीठ मंदिर मां शाकुम्भरी देवी का है. यहां प्रतिदिन हजारों श्रदालु माता के दर्शन करने के लिए आते रहते हैं. बताया जाता है कि उतर भारत में मां वैष्णो देवी के बाद मां शाकुम्भरी देवी के इस मंदिर का दूसरा स्थान है. हर साल यहां देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु मां से अपनी मनोंकामना पूरी करने की कामना करते हैं.

भैरव बाबा के दर्शन पहले करना है जरूरी
माता शाकुम्भरी देवी के मंदिर से दो किलोमीटर पहले भैरव बाबा को प्रसाद चढ़ाया जाता है. जानकारों का मानना है कि बाबा भैरव के दर्शन के बाद ही माता शाकुम्भरी देवी की पूजा सफल होती है. मां के दर्शनों के लिए आने वाले श्रदालुओं के लिए जहां प्रसाद की दुकानें सजी रहती हैं, वहीं खाने-पीने की दुकान भी लगी रहती है. मां के दर्शन करने के बाद मां के भक्तों में खुशी की लहर साफ दिखाई देती है.

मां ने नेत्रों से की थी वर्षा
सहारनपुर जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर यह सिद्धपीठ माता दुर्गा ने भगवती शाकुम्भरी देवी का रूप धारण कर कलयुग में प्रकट हुई थी. हजारों साल पहले धरती पर राक्षसों ने ब्रह्मा जी की आराधना करके चारों वेद मांग लिए थे, जिससे ऋषि मुनियों आदि के धार्मिक क्रियायें बंद हो गई थी, यज्ञ भी बंद हो गए थे. जब धरती पर अकाल पड़ा गया, जिससे पशु-पक्षी और जनमानस भूख प्यास से मरने लगे तो ऋषि मुनियों ने सैकड़ों साल तक तपस्या की जिसके बाद मां दुर्गा ने प्रसन्न होकर अपने नेत्रों से वर्षा कर सूखी धरती को हरा भरा कर दिया. वर्षा होने से यहां फसल पैदा हुई, जिसके बाद से इस देवी का नाम शाकुम्भरी देवी पड़ गया.

इसे भी पढ़ें- हमें नहीं चाहिए एनपीआर, हमें चाहिए रोजगार: अखिलेश यादव

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details