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सहारनपुर बवालः मुस्लिम नेता इमरान मसूद बोले, गाजरों की चोरी की सजा जूते हैं, फांसी नहीं, युवाओं पर रासुका की कार्रवाई सही नहीं

बीते जुमे को सहारनपुर में हुए प्रदर्शन और बवाल में गिरफ्तार किए गए युवाओं पर रासुका न लगाने की मांग को लेकर मुस्लिम नेता इमरान मसूद ने एसएसपी से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि गाजरों की चोरी की सजा जूते हैं, फांसी नहीं. युवाओं पर रासुका नहीं लगाई जानी चाहिए.

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यह बोले मुस्लिम नेता इमरान मसूद.

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Published : Jun 13, 2022, 8:42 PM IST

सहारनपुरःबीते जुमे को सहारनपुर में हुए प्रदर्शन और बवाल में गिरफ्तार किए गए युवाओं पर रासुका न लगाने की मांग को लेकर मुस्लिम नेता इमरान मसूद ने एसएसपी से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि गाजरों की चोरी की सजा जूते हैं, फांसी नहीं. युवाओं पर रासुका नहीं लगाई जानी चाहिए.

सर्व दल के सयुंक्त प्रतिनिधि मंडल ने सोमवार को एसएसपी से मुलाकात की. इस दौरान इमरान मसूद ने कहा कि गाजरों के चोर को जूते की सजा दी जाती है, फांसी की नहीं. जिसका जितना जुर्म है उसको उतनी सजा दी जाए. कम उम्र के युवाओं पर रासुका की कार्रवाई सही नहीं है. यूपी पुलिस योगी सरकार के दबाव में काम कर रही है.

यह बोले मुस्लिम नेता इमरान मसूद.

बता दें कि जुमे की नमाज के बाद सहारनपुर में प्रदर्शन और बवाल हुआ था. अब 84 बलवाइयों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है. 18 ऐसे युवाओं को गिरफ्तार किया गया है जो सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट कर रहे थे. इनमें 12 युवक हिंदू और छह युवक मुस्लिम समुदाय से हैं. पुलिस मीडिया फुटेज और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उपद्रवियों को चिन्हित कर रासुका के तहत कार्रवाई कर रही है. दो उपद्रवियों के मकानों पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई है.


इमरान मसूद के नेतृत्व में सपा-रालोद बंधन नेताओं ने एसएसपी आकाश तोमर से मुलाकात कर निर्दोष के खिलाफ कार्रवाई न करने की अपील की. कहा कि कम उम्र के युवाओं को सुधरने का मौका दिया जाए. इस पर एसएसपी ने कहा कि निर्दोष को छेड़ेंगे नहीं और दोषी को छोड़ेंगे नहीं. इमरान मसूद ने मीडिया से कहा कि राजनीतिक लोगों के साथ-साथ उलेमाओं की भी अपनी जिम्मेदारी है. आज से हम लोग लोगों के बीच जाएंगे और कहेंगे कि जुमे की नमाज के बाद इस तरह के उग्र प्रदर्शन जायज नही हैं. अगर कोई प्रदर्शन करना ही है तो उसके लिए तारीख और समय तय किया जाए. शहर को बचाने के लिए अगर जान भी देनी पड़ी तो देंगे.

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