सहारनपुर: 'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना' आलम इकबाल की यह पंक्ति एक मदरसे पर बिल्कुल सटीक बैठती है. दरअसल जिले में स्थित अशरफ-उल-उलूम मदरसा हिंदू मुस्लिम एकता के लिए एक अनोखी मिसाल कायम कर रहा है. इस मदरसे में न सिर्फ मुस्लिम बच्चे इस्लामिक तालीम हासिल कर रहे हैं, बल्कि हिंदू बच्चों को भी मानवता का पाठ पढ़ाया जा रहा है.
भाईचारे की मिसाल कायम कर रहा मदरसा
जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर गांव बोहडूपुर में स्थित अशरफ-उल-उलूम मदरसा आपसी भाईचारे की एक मिसाल पेश कर रहा है. इस मदरसे में हिन्दू-मुस्लिम सैकड़ों बच्चे दीनी तालीम सिख रहे हैं.
मदरसे में हिन्दू-मुस्लिम सेकड़ों बच्चे एक साथ करते है पठन पाठन का कार्य. दीनी तालीम से नवाज रहे अध्यापक
मुस्लिम और RSS से जुड़े हिन्दू अध्यापक इन बच्चों को उर्दू के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी, समाजिक विज्ञान और देश भक्ति का पाठ भी पढ़ा रहे हैं. खास बात यह है कि हिन्दू और RSS कार्यकर्ता बच्चों को साफ-सफाई के साथ दीनी तालीम से नवाज रहे हैं.
भाईचारे का एक अच्छा संदेश
मदरसे की इस दीवारी में हिन्दू मुस्लिम सभी बच्चे मिलजुल कर पठन पाठन का कार्य करते हैं. इतना ही नहीं सभी बच्चे एक साथ बैठकर खाना भी खाते हैं. ईटीवी भारत से मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों ने बताया कि यहां किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता. इस मदरसे में पढ़ने वाले यह बच्चे भाईचारे का एक अच्छा संदेश दे रहे हैं. वहीं यह मासूम बच्चे नज्म, सरस्वती वंदना के साथ वंदे मातरम और राष्ट्रगान गाकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं.
अध्यापकों के साथ कभी कोई भेदभाव नहीं
मदरसे में पढ़ा रही अध्यापिका पिंकी ने बताया कि वह इस मदरसे में चार सालों से पढ़ा रही हैं और उनके साथ कभी कोई भेदभाव नहीं किया गया. वहीं RSS कार्यकर्ता नरेंद्र पुंडीर ने बताया कि वह करीब आठ साल से इस मदरसे में शिक्षण कार्य कर रहे हैं. साथ ही सभी बच्चों को देश भक्ति के साथ धार्मिक शिक्षा भी दी जा रही है.
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