उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम बदलने से शहीद भगत सिंह का परिवार खुश, बोला- 15 साल बाद पूरी हुई मांग - सहारनपुर भगत सिंह का परिवार

चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के नाम पर करने की घोषणा से भगत सिंह का परिवार खुश है. उनका कहना है कि ये मांग उनके 100वीं जयंती से की जा रही थी. 15 साल बाद केंद्र सरकार ने उनकी मांग को पूरा किया है.

etv bharat
किरनजीत सिंह

By

Published : Sep 26, 2022, 7:48 PM IST

सहारनपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से एक बार फिर से देशवासियों को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के नाम पर करने की घोषणा की थी, जो कि शहीद ए आजम भगत सिंह के परिवार के लिए न सिर्फ बड़ी सौगात है, बल्कि तमाम स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों में जश्न का माहौल है. इसी के चलते शहीद ए भगत सिंह के भतीजे ने जहां केंद्र सरकार का आभार जताया है तो हरियाणा और पंजाब सरकार को भी धन्यावाद दिया है. कहा कि चंडीगढ़ हवाई अड्डे को भगत सिंह का नाम देने की मांग उनके 100वीं जयंती से की जा रही थी. 15 साल बाद केंद्र सरकार ने उनकी मांग को माना और "मन की बात" में इसकी घोषणा की है. हालांकि उन्होंने आजादी की लड़ाई में शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों को संवैधानिक रूप से शहीद का दर्जा देने की भी मांग की है.

वहीं, पीएम मोदी की इस घोषणा के बाद ETV BHARAT ने सहारनपुर की आवास विकास में रह रहे शहीद भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh) के परिजनों से EXCLUSIVE बात चीत की. इस दौरान शहीद ए आजम भगत के भतीजे सरदार किरनजीत सिंह ने कहा कि करीब 15 वर्षों से चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम शहीद ए आजम के नाम पर रखने की मांग की जा रही थी. इसके लिए कंग्रेस की मन मोहन सरकार को पत्र और ज्ञापन दिए गए. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अब 15 साल बाद केंद्र की मोदी सरकार ने मांग कर रहे संगठनों की इस मांग पर ध्यान दिया और चंडीगढ़ हवाई अड्डे को शहीद ए आजम भगत सिंह का नाम दिया, जो काबिल ए तारीफ है.

यह भी पढे़ं-शादी से इनकार करने पर प्रेमिका पर हमला, प्रेमी ने खुद की गर्दन भी काटी

सरदार किरनजीत सिंह ने कहा कि कि सरदार भगत सिंह क्रांति का पर्याय हैं. उन्होंने 23 वर्ष की अल्पायु में आजादी के लिए बलिदान दिया था. बचपन से इस संघर्ष में जुड़े थे, क्योंकि उनके पिता और चाचा भी स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्हीं से प्रेरणा लेकर आजादी की लड़ाई के रास्ते पर आगे बढ़े. उन्होंने पंजाब के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और दूसरे प्रांतों में जाकर संघर्ष किया. इस दौरान भगत सिंह ने चंद्रशेखर आजाद, भगवतीचरण वोहरा, राजगुरु, सुखदेव और इस तरह के तमाम क्रांतिकारियों के सहयोगी रहे. शहीद भगत ने काकोरी के शहीदों अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल राजेंद्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह से प्रेरणा ली थी. उस बलिदान की परंपरा को भगत सिंह ने आगे बढ़ाया था. उनका मानना था कि क्रांतियां हथियारों और बमो से नहीं आती, जबकि क्रांति की तलवार विचारों की शान पर तेज होती है.

यह भी पढ़ें- वाराणसी का आनंद मंदिर, जिसने भोजपुरी सिनेमा को दोबारा जिंदा कर दिया

बता दें कि किरनजीत सिंह ने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि लोगों ने भगत सिंह को शहीद का दर्जा दिया है और उनके साथियों का पूरा सम्मान है. आजादी की लड़ाई के लिए शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों को शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए. यह बहुत आवश्यक है. इससे उन सभी सात लाख शहीदों को सम्मान मिलेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details