सहारनपुर: कोरोना वायरस का असर न सिर्फ बाजारों और आम जनता पर पड़ रहा है, बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा पाठ पर भी पड़ने लगा है. जिले में गोगा महाड़ी पर लगने वाले ऐतिहासिक मेले पर भी कोरोना का ग्रहण लग गया है. कोरोना की वजह से राजस्थान बागड़ के बाद लगने वाले दूसरे मेले को स्थगित करना पड़ रहा है. इस बार न तो छड़ी पूजन किया जाएगा और न ही मेले का आयोजन होगा. जिले में बढ़ते पॉजिटिव मरीजों की संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने छड़ी पूजन पर रोक लगाने का फैसला लिया है, जिससे मेला आयोजकों और लाखों श्रद्धालुओं में मायूसी छा गई है.
छड़ी पूजन की अनूठी परंपरा. छड़ियों की होती है पूजा
बता दें कि भादो माह में राजस्थान के बागड़ में लगने वाले विशाल मेले के बाद सहारनपुर की गोगा महाड़ी पर ऐतिहासिक मेला लगता है. यहां गुरु गोरखनाथ और जाहरवीर गोगा जी की पूजा की जा जाती है. मेले से पहले नेजा (छड़ियों) का पूजन किया जाता है. भक्त छड़ियों को हर गांव शहर में घुमाकर लोगों से छड़ी पूजन कराते हैं. उसके बाद छड़ियों को ढोल नगाड़ों, बैंड बाजों के साथ धूमधाम से गोगा महाड़ी पर बने मुख्य मंदिर पर ले जाया जाता है. यहां भादो माह की नवमी के दिन से तीन दिवसीय विशाल छड़ी मेले का आयोजन किया जाता है. इस दौरान भक्त महाड़ी पर छोटी-छोटी छड़ियां और प्रसाद चढ़ाकर बाबा गुरु गोरखनाथ और जाहरवीर गोगा मन्नते मांगते है.
सभी मनोकामनाएं होती हैं पूरी
मान्यता है कि छड़ी पूजन के दौरान अगर कोई मन्नत मांगता है तो उसकी हर मन्नत पूरी होती है, लेकिन इस बार छड़ी पूजन पर कोरोना वायरस का ग्रहण लग गया है. कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए छड़ी पूजन के सभी कार्यक्रमों के साथ मेले पर भी रोक लगा दी गई है. सरदार छड़ी के मुख्य पुजारी विनोद प्रकाश ने बताया कि सहारनपुर में लगातार कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है. इसके चलते जिला प्रशासन ने छड़ी पूजन की अनुमति नहीं दी है.
750 साल से चली आ रही है ये परंपरा
सहारनपुर में भादो माह में छड़ी पूजन के ऐतिहासिक मेले के साथ बड़े-बड़े कार्यक्रम होते रहे हैं. यह परंपरा 750 साल से चली आ रही है. इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा जब कोरोना वायरस की वजह से छड़ी पूजन कार्यक्रम को टाला गया है. उन्होंने बताया कि ब्रिटिश शासन में अंग्रेजों ने भी छड़ी पूजन रोकने की कोशिश की थी. उस दौरान गुरु गोरखनाथ जी और जाहरवीर गोगा जी ने ऐसा चमत्कार दिखाया था कि अंग्रेजों को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था. अंग्रेजी अधिकारियों के घर, दफ्तर, बिस्तर सब जगह सांप ही सांप दिखने लगे थे, जिसके बाद उन्होंने क्षमा याचना कर छड़ी पूजन की अनुमति देनी पड़ी थी, हालांकि इस बार एक बीमारी की वजह से छड़ी पूजन पर रोक लगाई गई है. उन्होंने परम्परा को कायम रखने के लिए केवल पांच लोगों के साथ छड़ी महाड़ी पर ले जाने की अनुमति मांगी थी, जिसे जिला अधिकारी ने खारिज कर दिया.
1 अगस्त से शुरू हो सकता है कार्यक्रम
गोगा जी के भक्तों का विश्वास है कि कोरोना वायरस जल्द से जल्द खत्म हो जाएगा, जिसके बाद 1 अगस्त को छड़ी पूजन कार्यक्रम शुरू हो सकता है. सरदार छड़ी के पुजारी विनोद प्रकाश ने पूजन में आने वाले श्रदालुओं से भी अपील की है कि इस बार महाड़ी पर छड़ी पूजन नहीं होने पर अपने घरों में रहकर ही पूजा पाठ कर लें. सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर खुद के साथ अपने परिवार को भी स्वस्थ रखें.