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बुलन्दशहर: जहर घोलती पराली पर प्रशासन की नजर, अब सेटेलाइट से होगी निगरानी

किसान के पराली जलाने के कारण आसमान में धुंध के गुबार के छा जाते हैं जिससे जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त होने लगता है. अब जिला प्रशासन ने अब इस ओर गम्भीरता दिखानी शुरू कर दी है. किसान पराली न जलाएं इसके लिए प्रसाशनिक स्तर पर निगरानी की जा रही है.

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प्रसाशनिक स्तर पर की जा रही निगरानी.

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Published : Oct 10, 2020, 3:47 PM IST

बुलन्दशहर:हर वर्ष दिल्ली एनसीआर में अक्टूबर-नवंबर और दिसंबर माह में जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त होने लगता है, जिसकी मूल वजह है आसमान में धुंध के गुबार का छा जाना. राजधानी के करीब के जिले बुलन्दशहर में भी आबोहवा पूरी तरह दूषित हो जाती है, जिला प्रशासन ने अब इस ओर गम्भीरता दिखानी शुरू कर दी है, ताकि जनजीवन प्रभावित न हो, किसान पराली न जलाएं इसके लिए निगरानी की जा रही है. इटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट.

प्रसाशनिक स्तर पर की जा रही निगरानी.
देशभर में कोरोना संक्रमणकाल चल रहा है, हर साल अक्टूबर, नवंबर और दिसम्बर माह में खासतौर से देखा जाता है कि आसमान में धुंध का गुबार छा जाता है. एयरक्वालिटी इंडेक्स में बेतहाशा वृद्धि हो जाती है, हर किसी का जीवन इससे प्रभावित होता है.सांस के मरीजों को तो जैसे ये समय संकटकाल बनकर उभरता है. बुलंदशहर में जिला प्रशासन ने इस ओर अभी से ध्यान देना शुरु कर दिया है, क्योंकि इन दिनों धान की फसल की कटाई की जा रही है.बेपरवाह किसान कई बार फसल की कटाई के बाद जो पराली होती है, उसे खेत में जला देते हैं, जिससे न सिर्फ आम आदमी को दिक्कत होती हैं, बल्कि जीवजन्तु भी प्रभावित होते हैं.


दिल्ली NCR में हर वर्ष इन महीनों में पिछले कई सालों से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो जाता है. ऐसे में जिला प्रशासन ने यहां फुलप्रूफ प्लान तैयार कर लिया है. कलेक्ट्रेट परिसर में स्थापित कंट्रोल रूम में कोई भी पराली जलाने की सूचना दी जा सकेगी. इस बारे में बुलन्दशहर के उपकृषि निदेशक आरपी चौधरी का कहना है कि इस दौरान मौसम में उतार चढ़ाव होता है और जिस वजह से आसमान में धुंध की वजह से वातावरण दूषित होने लगता है. हालांकि उसके लिए सिर्फ किसान को दोष देना उचित नहीं है.


जिम्मेदार अधिकारी आरपी चौधरी कहते हैं कि बुलन्दशहर जिला, देश की राजधानी का समीपवर्ती जिला है ऐसे में जिले में दुग्ध उत्पादक अधिक हैं, और धान की पराली यहां अब काफी समय से देखी जा रही है. हालांकि, वो मानते हैं कि ऐसे मामले जिले में सामने आये तो उन पर तत्काल कार्रवाई भी की जाती रही है. इतना ही नहीं अब तो पराली जलाने के लिए सभी की जबावदेही भी तय करदी गयी है.


अब बुलन्दशहर जिले में जिला प्रशासन ने आबोहवा को सुरक्षित रखने को फुलप्रूफ प्लान तैयार किया है. इस बारे में एक पत्र जिले के सभी ग्राम प्रधानों को मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक पांडेय की तरफ से जारी किया गया है. बुलंदशहर जिले भर में किसी भी क्षेत्र में अगर किसान ने खेत में पराली जलाई तो उसके लिए ग्राम प्रधान को जिम्मेदार माना जाएगा. शिकायत कंट्रोल रूम पर भी की जा सकेगी. जिला उप कृषि निदेशक ने बताया कि प्रशासन ने फुलप्रूफ तैयारी की है ताकि हवा में जहर न घुले, पराली न जलाई जा सके.

उप कृषि निदेशक आरपी चौधरी ने बताया कि प्रधान, पुलिस, लेखपाल और विभाग के पर्यवेक्षक घटनास्थल पर पहुंचेंगे, पराली जलाकर प्रदूषण फैलाने वालों पर पांच से 15 हजार रुपये का जुर्माना और जेल तक जाने का प्रावधान है.


कलेक्ट्रेट में कंट्रोल रुम की स्थापना की गई है, उन्होंने बताया कि सेटेलाइट के माध्यम से पिछले साल भी पराली जलाने की जानकारी प्रशासन को हुई थी, जिस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए हवा को दूषित करने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर करते हुए जुर्माने लगाए गए थे. लापरवाह एसडीएम और तहसीलदारों को भी पिछले साल जिला प्रशासन ने लापरवाही बरतने पर नोटिस दिए थे.

फिलहाल बुलंदशहर जिला प्रशासन की तरफ से हवा में जहर न घुले और अगर कोई जहर घोलने की कोशिश करे तो ऐसे लोगों पर नकेल कसने की तैयारी की जा रही हैं.

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