रायबरेली: कहते हैं कि भक्त को भगवान से कोई भी दूर नहीं कर सकता. बात जब संकट के दौर की हो तब भक्त ईश्वर की शरण में जरूर पहुंच जाता है. देश महामारी की जद में हो तब आखिर भक्त आराध्य से कैसे दूर रहें. हालांकि बंदिशों के कारण सामाजिक आयोजनों पर रोक है. बड़े धार्मिक कार्यक्रम भी निषेध हैं. तब भक्तगण चार दिवारी में रहकर ही परिवार वालों के साथ बप्पा की उपासना करने का मन बना चुके हैं. कोरोना काल में भक्त बप्पा की विशाल प्रतिमा की बजाय छोटे और अनुपम स्वरूप को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं.
बड़े नहीं छोटे आकार के 'बप्पा' बने भक्तों की पसंद. गणपति महोत्सव के शुरू होने में बस चंद दिन ही शेष हैं. आमतौर पर रायबरेली शहर में तमाम ऐसे स्थल हैं, जहां हर वर्ष गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता रहा है. इस बार प्रशासनिक मनाही का असर साफ देखने को मिल रहा है. कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के मकसद से उठाएं गए इस कदम को कही हद तक भक्तों और मूर्तिकारों को भी साथ मिलता दिख रहा है. यही कारण है कि भक्त इस बार सामाजिक स्थलों और सड़कों पर पूजन व शोभा यात्रा का कार्यक्रम करने से बचते दिख रहे हैं. वे घरों में परिवार के संग इस आयोजन को लेकर उत्सुक हैं.
छोटे स्वरूप में गणपति बप्पा की डिमांड
शहर के मुंशीगंज में मूर्तिकार उदयराज यादव बीते कई वर्षों से लगातार गणेश पूजन के लिए गणपति बप्पा के स्वरूप को साकार रूप देते आए हैं. वह बताते हैं कि हर साल सीजन के दौरान करीब 50-65 प्रतिमाएं बनाते थे. बड़े उत्साह से भक्तगण उसे अपने-अपने आयोजन के लिए लेकर जाते थे. वहीं इस बार माहौल कुछ बदला सा है. बड़े आकारों के अपेक्षा छोटे स्वरूप में बप्पा की डिमांड ज्यादा है. हालांकि बड़ी मूर्ति के लिए 6 हज़ार रुपये मिलते थे. वहीं छोटे स्वरूपों के लिए महज दो से ढाई हजार की कीमत ही मिल पाती है. अब तक इसकी डिमांड भी 20 से 25 के बीच ही है. हालांकि इस लिहाज से नुकसान जरूर है. फिलहाल ऐसे ही कामकाज चल रहा है. बप्पा से प्रार्थना है कि इस महामारी से मुक्ति दिलाएं.
रायबरेली शहर के नेहरु नगर निवासी ऋषि चौरसिया कहते है कि वे बीते 15 वर्षों से लगातार गणेश पूजन का आयोजन करते रहे हैं. हर रोज़ सैकडों की संख्या में भक्तगण एकट्ठा होकर बप्पा की पूजा और आरती में सम्मिलित होते रहे है. इसके बाद अंतिम दिन भंडारा और शोभा यात्रा निकाली जाती है. वहीं इस बार कोरोना के चलते पूरी तरह से सामाजिक कार्यक्रमों पर रोक है. यही कारण है कि सिर्फ पारिवारिक लोगों के साथ ही बप्पा की उपासना की जाएगी.