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एम्स रायबरेली में पुराने भवनों को किया जाएगा ध्वस्त, कैबिनेट की मिली मंजूरी

प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में लंबे समय से लंबित रायबरेली एम्स के प्रस्ताव पर मंगलवार को मुहर लग गई है. रायबरेली एम्स परिसर की भूमि पर पहले नन्दगंज शुगर मिल का परिसर था, जिसे लोक निर्माण विभाग पहले ही निष्प्रयोज्य घोषित कर चुकी थी, लेकिन ध्वस्तीकरण से पहले कैबिनेट के अनुमति की जरुरत थी.

जानकारी देते संवाददाता प्रणव कुमार.

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Published : Jun 11, 2019, 5:36 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

रायबरेली: प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक के दौरान रायबरेली एम्स से जुड़ा एक लंबित प्रस्ताव पास किया गया है. दरअसल, रायबरेली एम्स परिसर की भूमि पर पहले नन्दगंज शुगर मिल का परिसर था. बाद में शुगर मिल जब बंद हो गई तो समुचित रख-रखाव के अभाव में उसका आवासीय परिसर भी बेहद जर्जर अवस्था मे पहुंच गया था, जिसके कारण उस परिसर को फिर से रिहायशी व अन्य कार्यो में उपयोग करना मुनासिब न था.

रायबरेली एम्स से जुड़ा प्रस्ताव पास.
लोक निर्माण विभाग परिसर को पहले ही निष्प्रयोज्य घोषित कर चुकी थी, लेकिन ध्वस्तीकरण से पहले कैबिनेट के अनुमति की जरुरत थी. मंगलवार को कैबिनेट बैठक के बाद प्रस्ताव पर मुहर लग गई. दरअसल, एम्स रायबरेली की स्वीकृति यूपीए वन शासनकाल के दौरान वर्ष 2007 में ही दी जा चुकी थी. वर्षों बाद 2012 में 150 में से करीब 97 एकड़ भूमि एम्स के लिए अधिग्रहित हो पाई थी. इसके बाद 2013 में सोनिया गांधी ने इसका शिलान्यास किया था. वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद कुछ साल प्रोजेक्ट थमा रहा फिर अगस्त 2018 से ओपीडी सेवाओं की शुरुआत हुई थी. एम्स प्रशासन ने दावा किया था कि अप्रैल 2020 तक एम्स रायबरेली अपनी सभी मुख्य सुविधाओं समेत कार्य करने की शुरूआत कर देगा.
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

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