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Published : Jan 23, 2021, 12:46 PM IST

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प्रयागराज के इस गांव से रात में वाहन लेकर नहीं जा सकते बाहर

प्रयागराज के थरवई थाना क्षेत्र में डेरा गदाई ग्राम सभा के रेलवे फाटक रोज रात को बंद कर दिया जाता है और सुबह खोला जाता है. ऐसे में ग्रामीण शाम छह बजे के बाद गांव के बाहर अपने वाहन से नहीं निकल सकते. ग्रामीण फाटक पर 24 घंटे रेलवे कर्मचारी की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं.

सिर्फ 12 घंटे खुला रहता है रेलवे फाटक.
सिर्फ 12 घंटे खुला रहता है रेलवे फाटक.

प्रयागराज :रेलवे लाइन पर बने फाटक गाड़ियों के आवागमन के दौरान ही खुलते और बंद होते हैं. लेकिन प्रयागराज के थरवई थाना क्षेत्र के डेरा गदाई ग्राम सभा की कहानी कुछ और है. इस गांव से गुजरने वाली जौनपुर वाराणसी रेलवे लाइन पर बने रेलवे फाटक को रोज रात में बंद कर दिया जाता है और सुबह खोला जाता है. इस रेलवे फाटक पर 12 घण्टे कर्मचारी तैनात रहते हैं. इसके चलते यहां पर ग्रामीणों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं.

सिर्फ 12 घंटे खुला रहता है रेलवे फाटक.

दरअसल पूर्वोत्तर रेलवे के परिक्षेत्र की प्रयागराज से वाराणसी और जौनपुर के लिए रेलवे लाइन गुजरती है. इस रेलवे लाइन पर थरवई और सरायचंडी रेलवे स्टेशन के बीच पड़ने वाले डेरा गदाई ग्राम सभा में जाने के लिए सड़क पर रेलवे फाटक है, जिसका नम्बर 35-सी/l-ई है. गांव के बीचों-बीच से गुजरने वाली है रेलवे लाइन को आवागमन के लिए दिन में ही खोला जाता है.

सिर्फ 12 घंटे खुला रहता है रेलवे फाटक.

ग्रामीणों का कहना है कि इस रेलवे फाटक पर 24 घंटे कर्मचारियों की ड्यूटी नहीं रहती है. सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक यहां कर्मचारी तैनात रहते हैं और शाम छह बजे के बाद पूर्ण रूप से बंद कर दिया जाता है और सुबह फिर छह बजे खोला जाता है. इस बीच गांव में अगर किसी को कोई समस्या हो जाए तो गांव से बाहर नहीं निकल सकता. गांव के एक तरफ नदी है और दूसरी तरफ कोखराज हंडिया बाईपास का हाईवे है. हाईवे तक पहुंचने के लिए गांव का दक्षिणी हिस्सा रात में बंद हो जाता है.

ग्रामीणों ने भारत सरकार के रेल मंत्री और क्षेत्रीय सांसद फूलपुर केसरी देवी पटेल और अधिकारियों को पत्र लिखकर 24 घंटे इस फाटक पर कर्मचारी नियुक्त करने की मांग की है. लेकिन अभी तक इस समस्या का कोई निराकरण नहीं हुआ है. रात में फाटक बंद हो जाने से डेरा गदाई ग्राम सभा के दक्षिणी हिस्से में रहने वाले ग्रामीण अपने घर पर वाहन लेकर नहीं पहुंच पाते हैं. यही नहीं रात में कोई समस्या आई तो उसे रात भर गांव में ही जूझना पड़ेगा.

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