प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्ति के बैनामे को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि गैर पंजीकृत पावर ऑफ अटॉर्नी धारक व्यक्ति भी उतना ही अधिकृत है, जितना पंजीकृत पावर ऑफ अटॉर्नी धारक होता है. यदि उस पर किसी प्रकार के फ्रॉड करने का आरोप साबित नहीं है तो पावर ऑफ अटॉर्नी का पंजीकृत न होना, बैनामे की राह का रोड़ा नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि संपत्ति का बैनामा कराते समय भूमि स्वामी द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत किया जाना चाहिए. यह दस्तावेज पावर ऑफ अटॉर्नी रखने वाला व्यक्ति भी मूल स्वामी के एजेंट के तौर पर प्रस्तुत कर सकता है.
यह आदेश न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने बरेली के रवीन्द्र कुमार की याचिका पर दिया है. याची का कहना था कि राकेश चंद्र शर्मा और उनकी पत्नी कुंती शर्मा ने नेवादा में पांच प्लॉट खरीदे थे, बाद में इसकी पावर ऑफ अटॉर्नी उन्होंने याची को दे दी. नोटरी पर हस्ताक्षर करने वालों के दस्तखत अधिवक्ता और नोटरी द्वारा सत्यापित किए गए हैं.