प्रयागराज: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को मासिक कालाष्टमी का व्रत किया जाता है, लेकिन मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान कालभैरव का अवतरण हुआ था. इस बार कालभैरव जयंती 27 नवंबर यानी आज मनाई जाएगी.
काल भैरव जयंती आज, ऐसे करें तैयारी, जानिए तिथि और पूजन विधि - प्रयागराज खबर
हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कालाष्टमी का व्रत मनाया जाता है, लेकिन मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती के तौर पर मनाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कालभैरव का अवतरण हुआ था. इस साल कालभैरव की जयंती 27 नवंबर, शनिवार के दिन पड़ रही है.
जानिए तिथि और पूजन विधि
इस दिन भगवान भैरव की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. भक्तों को बता दें कि भगवान भैरव भगवान शिव का ही रूद्र रूप हैं, इस दिन सुबह स्नान वगैरह करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद रात के समय कालभैरव की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है.
काशी के काल भैरव
वाराणसी में भी आज भैरव अष्टमी का पर्व है. भैरव अष्टमी यानी बाबा भैरव की जयंती उत्सव काशी अपने आप में अनूठी नगरी है, क्योंकि यहां पर भैरव के आठ अलग-अलग अवतार विराजते हैं. एक तरफ जहां काशी में कोतवाल बनकर काल भैरव पूरे काशी की रक्षा करते हैं तो वहीं अष्ट भैरव के क्रम में बटुक भैरव, संहारक भैरव, आस भैरव और कई अन्य भैरव भी काशी में विद्यमान है. इनमें से आज हम आपको उस बालस्वरूप भैरव के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका मंदिर शायद ही आपको पृथ्वी पर काशी के अलावा और कहीं मिले, क्योंकि बाबा भैरव का यह बालस्वरूप जीवन के हर कष्ट को दूर करता है और बच्चों की तरह इन्हें कुछ भी अर्पित कीजिए यह सब स्वीकार भी करते हैं.
वाराणसी में स्थित बाबा बटुक भैरव के मंदिर की अपनी है. मान्यता है धरती पर हजारों साल पहले उत्पन्न हुए इस मंदिर में बाबा बाल स्वरूप में विराजमान हैं. ऐसा कहा जाता है कि बाबा के इस बाल स्वरूप का दर्शन करने मात्र से ही जीवन की सारी कठिनाइयां खत्म हो जाती हैं. यही वजह है कि इस मंदिर कैंपस में प्रवेश करने के साथ ही आपको एक अलग ऊर्जा का एहसास भी होने लगेगा.
मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करने के बाद जब आप मंदिर कैंपस में पहुंचेंगे तो आपको चारों तरफ बाबा भैरो की सवारी स्वान यानी कुत्ते नजर आ जाएंगे. मंदिर के छोटे से मुख्य द्वार से गर्भगृह में प्रवेश करने के साथ ही छोटी सी एक प्रतिमा आपको नजर आएगी. यही प्रतिमा बाबा के बाल स्वरूप के अद्भुत दर्शन के लिए यहां विराजमान है. मस्तक पर लाल टीका और एक भव्य तेज के साथ बाबा बटुक भैरव के इस रूप का दर्शन करके आप भी जीवन को धन्य समझेंगे.
यहां पर आने वाले लोग अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद बाबा को बहुत कुछ समर्पित करते हैं. जिस तरह से बच्चा छोटी छोटी चीजों से ही खुश हो जाता है वैसे बाबा बटुक भैरव हर छोटी-छोटी चीज से प्रसन्न होते हैं बाबा बटुक भैरव को खिलौने भी चढ़ाए जाते हैं, कपड़े भी चढ़ाए जाते हैं और तो और टॉफी बिस्किट चॉकलेट के अलावा मांस मदिरा का भोग भी बाबा को लगाया जाता है. जैसी जिसकी श्रद्धा वैसा उसका समर्पण इस मंदिर में दिखाई देता है. यहां पर दर्शन करने आने वाले लोगों का भी कहना है कि बाबा बटुक भैरव ने इतना दिया कि उनके जीवन में बदलाव हो गया. कष्ट तकलीफ तो रही नहीं, जैसी जिसकी श्रद्धा वैसा उसको नतीजा इस स्थान से मिलता है.
काल-भैरव व्रत करने की विधि
- काल-भैरव का उपवास करने वाले भक्तों को सुबह नहा-धोकर सबसे पहले अपने पितरों को श्राद्ध व तर्पण देने के बाद भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
- इस दिन व्रत रखने वाले मनुष्य को पूरे दिन उपवास रखकर रात के समय भगवान के सामने धूप, दीप, काले तिल,उड़द, सरसों के तेल के दीपक के साथ भगवान काल भैरव की आरती करनी चाहिए।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता होता है इसलिए व्रत खोलने के बाद व्रती को अपने हाथ से बनाकर कुत्ते को जरूर कुछ खिलाना चाहिए।
- इस तरह पूजा करने से भगवान काल भैरव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
- माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति पूरे मन से काल भैरव भगवान की पूजा करता है तो उस पर भूत, पिचाश, प्रेत और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं।
काल भैरव भगवान की पूजा करते समय इस मंत्र का करें जाप
ॐबम बटुकाय नमः
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Last Updated : Nov 27, 2021, 10:17 AM IST