प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि संविदा कर्मचारी को भी बिना सुनवाई के पद से हटाना या उसकी संविदा समाप्त करना अनुचित है. कोर्ट ने कस्तूरबा विद्यालय में दस वर्षों से कार्यरत वार्डन को एकपक्षीय आदेश जारी कर संविदा से हटाने के निर्णय को गलत करार देते हुए विभाग को नए सिरे से निर्णय लेने का आदेश दिया. बलिया की मुन्नी पूनम की याचिका पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने सुनवाई की.
याची का पक्ष रख रहे अधिवक्ता दिनेश राय ने कहा कि याची 2011 से कस्तूरबा बालिका विद्यालय बेलहरी बलिया में वार्डेन के पद पर कार्य कर रही है. उसे एक वर्ष की संविदा पर रखा गया था जिसे अब तक लगातार बढ़ाया जाता रहा है. सत्र 2020-21 के लिए उसका कार्य संतोषजनक न पाते हुए संविदा समाप्त कर दी गई. मगर ऐसा करने से पूर्व उसे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया.
दो जनवरी 21 के आदेश से उसकी संविदा समाप्त कर दी गई. बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता संजय चतुर्वेदी ने कहा कि याची का कार्य संतोषजनक नहीं पाया गया. इसलिए उसकी संविदा समाप्त कर दी गई. हालांकि उन्होंने माना कि याची को सुनवाई का अवसर नहीं मिला.
कोर्ट का कहना था कि यहां यह मुद्दा नहीं है कि याची पिछले दस वर्षों से संविदा पर कार्यरत है बल्कि उसकी संविदा समाप्त करने से पूर्व उसे अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया है. इसलिए संविदा समाप्त करने का आदेश जारी नहीं रखा जा सकता है.
कोर्ट ने याची को दो सप्ताह के भीतर अपना प्रत्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है और सक्षम प्राधिकारी को उस पर कमेटी की रिपोर्ट लेकर याची का पक्ष सुनकर नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है.