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HC का फैसला, यौन अपराध की शिकार महिला का ऑडियो व वीडियो बयान लेना अनिवार्य

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Published : Sep 5, 2022, 10:39 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन अपराध की शिकार महिला का ऑडियो-वीडियो बयान लेना अनिवार्य कर दिया है. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब प्रदेश सरकार ने सर्कुलर जारी किया है. इस आदेश के बाद 2 महीने में प्रदेश में आपराधिक विवेचना का तरीका बदल जाएगा.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराजः दुष्कर्म, छेड़खानी जैसे यौन अपराधों की शिकार महिला का बयान दर्ज करते समय उसके बयान की ऑडियो व वीडियो रिकॉर्डिंग करना भी अनिवार्य होगा. हाईकोर्ट में चल रही है एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीड़ितों के ऑडियो वीडियो बयान रिकॉर्ड न करने को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार को सख्त आदेश जारी किया था. इसके बाद अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने सर्कुलर जारी कर इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं. सर्कुलर में कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 161 में किए गए संशोधन के अनुसार पीड़िताओं के ऑडियो व वीडियो बयान अनिवार्य रूप से किए जाएं.

रामपुर के नसीम व अलीगढ़ के आकाश की आपराधिक अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय सिंह ने इस बात पर गहरी नाराजगी जताई थी कि छेड़खानी और दुष्कर्म तथा एससी एसटी जैसे अपराधों में पीड़ितों के बयान की ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं की जा रही है. जांच अधिकारी पीड़िता के मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान को भी नजरअंदाज करके पीड़ित का बयान बदल दे रहे हैं.

इस प्रकार अभियुक्तों से सांठगांठ कर उनको फायदा पहुंचाया जा रहा है. कोर्ट ने इन दोनों मामलों में संबंधित जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को तलब भी किया था. एसएसपी अलीगढ़ द्वारा प्रस्तुत आंकड़े से पता चला कि अलीगढ़ जिले में महिलाओं के विरुद्ध 1 साल में 12638 अपराधों के मुकदमे दर्ज किए गए, मगर इनमें से सिर्फ 1959 मामलों में ही ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग की गई. स्थिति पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने सरकार को कड़े निर्देश दिए थे.

2 माह में बदल जाएगा पुलिस विवेचना का तरीका
डीजीपी यूपी व गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से प्रस्तुत हलफनामे में बताया गया कि कोर्ट के निर्देश के क्रम में 26 अगस्त 2022 को एक बैठक हुई, जिसमें गृह विभाग पुलिस व न्याय विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया. बैठक में पुलिस विवेचना को लेकर के कई निर्देश पारित किए गए हैं, जिसके तहत अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट की टाइप शुदा प्रति तैयार की जाएगी. अभी तक यह हाथ से तैयार की जाती थी जिसे की पढ़ने में दिक्कत आती थी.

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इसके अलावा गोली मारे जाने के मामले में शरीर के उस हिस्से का एक्सरे कराया जाएगा, जहां गोली मारी गई है न कि पूरे शरीर का. हत्या के मामले में पोस्टमार्टम के दौरान मृतक की कलर फोटोग्राफ खींची जाएगी तथा इसे केस डायरी का हिस्सा बनाया जाएगा. चार्जशीट तैयार करने वाला जांच अधिकारी इस पर अपनी राय भी अंकित करेगा. किसी मामले में अग्रिम विवेचना करने का निर्णय लेने से पूर्व संबंधित न्यायालय की अनुमति लेना अनिवार्य होगा. जिले में संयुक्त निदेशक अभियोजन लीगल सेल की अध्यक्षता करेंगे. लीगल सेल द्वारा जांच अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. साथ ही केस डायरी का फोंट साइज बढ़ाने का भी निर्णय बैठक में लिया गया है.

अधिकारियों ने हलफनामे में कहा कि इन सुधारों को 2 माह के भीतर लागू कर दिया जाएगा. कोर्ट ने इन सुधारों पर संतोष जताते हुए अपने आदेश की प्रति संबंधित अधिकारियों को देने का निर्देश दिया है.

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