प्रयागराजः दुष्कर्म, छेड़खानी जैसे यौन अपराधों की शिकार महिला का बयान दर्ज करते समय उसके बयान की ऑडियो व वीडियो रिकॉर्डिंग करना भी अनिवार्य होगा. हाईकोर्ट में चल रही है एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीड़ितों के ऑडियो वीडियो बयान रिकॉर्ड न करने को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार को सख्त आदेश जारी किया था. इसके बाद अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने सर्कुलर जारी कर इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं. सर्कुलर में कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 161 में किए गए संशोधन के अनुसार पीड़िताओं के ऑडियो व वीडियो बयान अनिवार्य रूप से किए जाएं.
रामपुर के नसीम व अलीगढ़ के आकाश की आपराधिक अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय सिंह ने इस बात पर गहरी नाराजगी जताई थी कि छेड़खानी और दुष्कर्म तथा एससी एसटी जैसे अपराधों में पीड़ितों के बयान की ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं की जा रही है. जांच अधिकारी पीड़िता के मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान को भी नजरअंदाज करके पीड़ित का बयान बदल दे रहे हैं.
इस प्रकार अभियुक्तों से सांठगांठ कर उनको फायदा पहुंचाया जा रहा है. कोर्ट ने इन दोनों मामलों में संबंधित जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को तलब भी किया था. एसएसपी अलीगढ़ द्वारा प्रस्तुत आंकड़े से पता चला कि अलीगढ़ जिले में महिलाओं के विरुद्ध 1 साल में 12638 अपराधों के मुकदमे दर्ज किए गए, मगर इनमें से सिर्फ 1959 मामलों में ही ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग की गई. स्थिति पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने सरकार को कड़े निर्देश दिए थे.
2 माह में बदल जाएगा पुलिस विवेचना का तरीका
डीजीपी यूपी व गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से प्रस्तुत हलफनामे में बताया गया कि कोर्ट के निर्देश के क्रम में 26 अगस्त 2022 को एक बैठक हुई, जिसमें गृह विभाग पुलिस व न्याय विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया. बैठक में पुलिस विवेचना को लेकर के कई निर्देश पारित किए गए हैं, जिसके तहत अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट की टाइप शुदा प्रति तैयार की जाएगी. अभी तक यह हाथ से तैयार की जाती थी जिसे की पढ़ने में दिक्कत आती थी.