प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि लूट, चोरी जैसे अपराधों में बरामद किया गया सामान उसके मूल स्वामी को लौटा दिया जाना चाहिए. विशेष परिस्थिति हो तभी ऐसे सामान (केस प्रॉपर्टी ) को पुलिस या अदालत की अभिरक्षा में रखा जाना चाहिए. पूजा देवी की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार ने एसी जीएम इलाहाबाद द्वारा रिलीज प्रार्थना पत्र खारिज किए जाने के आदेश को रद्द कर दिया है तथा एससी जेएम को निर्देश दिया है कि वह नए सिरे से आदेश पारित करें.
याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची का पर्स कुछ बदमाशों ने छीन ली थी. बाद में पकड़े गए और लूटा गया सामान बरामद हुआ. याची ने बरामद सामान मोबाइल व जेवरात आदि रिलीज करने के लिए एसीजेएम कक्ष संख्या 17 के न्यायालय में अर्जी दी थी जिसे उन्होंने खारिज कर दिया. इसके खिलाफ रिवीजन दाखिल किया गया. सेशन कोर्ट ने रिवीजन स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट को नए सिरे से आदेश पारित करने के लिए कहा, जिस पर मजिस्ट्रेट ने बरामद 7450 रुपए कैश रिलीज करने का आदेश दिया मगर मोबाइल फोन और जेवरात रिलीज करने से इंकार कर दिया. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.
अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय सुंदरबाई अंबालाल देसाई वर्सेस स्टेट आफ गुजरात केस का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केस प्रॉपर्टी को विशेष परिस्थितियों को छोड़कर रिलीज कर देना चाहिए. सीआरपीसी की धारा 451 के तहत दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए मजिस्ट्रेट केस प्रॉपर्टी को रिलीज करने का आदेश दे सकता है. मूल्यवान वस्तुएं करेंसी नोट , कीमती सामान आदि को पुलिस अभिरक्षा में लंबे समय तक रखने की कोई उपयोगिता नहीं है. इनको ट्रायल समाप्त होने तक पुलिस की अभिरक्षा में नहीं रखा जाना चाहिए, यदि साक्ष्य हेतु आवश्यकता है तो विस्तृत पंचनामा , फोटोग्राफ तैयार करने तथा इस बात की सिक्योरिटी लेने कि आवश्यकता पड़ने पर वह सामान न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा. बरामद सामान रिलीज कर देना चाहिए. इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने एसी जीएम इलाहाबाद के 27 जून 2023 के आदेश को रद्द करते हुए याची के रिलीज प्रार्थना पत्र पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और इस अदालत द्वारा दिए गए निरीक्षण के आलोक में नए सिरे से आदेश पारित करने के लिए कहा है.
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