इलाहाबाद:हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव पंचायत राज विभाग से पूछा है कि ग्राम प्रधान को पदच्युत कर किसी सदस्य की पद पर नियुक्ति का अधिकार जिलाधिकारी या जिला पंचायत राज अधिकारी में से किसे है. कोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम के तहत सक्षम अधिकारी कौन है, क्योंकि हाईकोर्ट में जिलाधिकारी के ऐसे आदेशों के खिलाफ याचिकाएं आ रही हैं. याची अधिवक्ता का कहना है कि राज्य सरकार की जुलाई 1966 की अधिसूचना के अनुसार प्रधान की नियुक्ति का अधिकार जिला पंचायत राज अधिकारी को है.
कानून के विपरीत ग्राम प्रधान को पदच्युत कर सदस्य को शैक्षिक योग्यता के आधार पर चुनाव होने तक ग्राम प्रधान का दायित्व सौंपने के जिलाधिकारी एटा के आदेश की याचिका में चुनौती दी गई है. कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था. कोई जवाब न आने पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है और अपर मुख्य सचिव से सरकार का स्टैंड स्पष्ट करते हुए व्यक्तिगत हलफ़नामा मांगा है. कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव से इस संबंध में सरकार की अधिसूचना भी दाखिल करने को कहा है. याचिका की सुनवाई 5 नवम्बर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने श्रीमती सीता देवी की याचिका पर दिया है.