प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को प्रदेश में विद्युत लाइसेंस जारी करने की निगरानी के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार और आयोग से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति बालकृष्ण नारायण तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष एसके गर्ग की याचिका पर दिया है.
विद्युत विवादों के निपटारे को लेकर फोरम गठित करने पर हाई कोर्ट सख्त, राज्य सरकार और आयोग से मांगा जवाब
प्रदेश में विद्युत लाइसेंस जारी करने की निगरानी के लिए लोकायुक्त के नियुक्ति की मांग में दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने चार हफ्ते में जवाब मांगा है. कोर्ट ने राज्य सरकार और उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग से जवाब मांगा है.
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याची का कहना है कि कमिश्नरी स्तर पर इसका मुख्यालय बनाया जाए, जो प्रयागराज में हो और हर जिले में उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम गठित किए जाएं. याची का यह भी कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाया जा रहा है, यदि 4G होगा, तो उपभोक्ताओं को ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे. इस संबंध में उचित कार्रवाई की जाए. सरकार ने 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का वादा जरूर किया है, लेकिन आए दिन आपूर्ति बाधित रहती है, जिसकी शिकायत की सुनवाई के लिए फोरम गठित किया जाना चाहिए. विभाग की लापरवाही के चलते बिजली कर्मियों और आम लोगों की दुर्घटना में मौत हो रही है. ट्रांसफार्मर लगाए जाने के कुछ दिन बाद ही जल जा रहे हैं. कर्मचारी मीटर रीडिंग नहीं करते और गलत बिल भेज कर उपभोक्ताओं को परेशान किया जाता है. कानून के तहत संस्थाओं का गठन किया जाए. याचिका की सुनवाई पांच फरवरी को होगी.