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इलाहाबाद हाईकोर्ट की नई गाइडलाइन जारी, भौतिक और वर्चुअल दोनों तरीके से काम पर जोर

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अदालतों व अधीनस्थ अधिकरणों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है. इस  दौरान न्यायिक अधिकारी लंबित और नए जमानत प्रार्थनापत्रों, अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्रों, अर्जेंट क्रिमिनल एप्लीकेशन, निषेधाज्ञा जैसे अर्जेट सिविल प्रार्थनापत्रों, विचाराधीन बंदियों के रिमांड व अन्य उन सभी मामलों की सुनवाई करेंगे जिनमें कोर्ट ने समयबद्ध निस्तारण का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published : Apr 14, 2021, 10:05 PM IST

प्रयागराज : कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अदालतों व अधीनस्थ अधिकरणों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है. इसके अनुसार सभी मुख्य अदालतें, विशेष न्यायालय और अधिकरण भौतिक और वर्चुअल दोनों तरीके से काम करेंगे.

इसके अलावा विशेष क्षेत्राधिकार के न्यायालय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और सिविल जज वरिष्ठ श्रेणी व कनिष्ठ श्रेणी की अदालतें भी भौतिक व वर्चुअल दोनों तरीके से काम करेंगी. हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों को रोटेशन के आधार पर न्यायिक कार्य दिए जाने की संभावना तलाशने का निर्देश दिया है.

मामलों के समयबद्ध निस्तारण का आदेश

इस दौरान न्यायिक अधिकारी लंबित और नए जमानत प्रार्थनापत्रों, अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्रों, अर्जेंट क्रिमिनल एप्लीकेशन, निषेधाज्ञा जैसे अर्जेट सिविल प्रार्थनापत्रों, विचाराधीन बंदियों के रिमांड व अन्य उन सभी मामलों की सुनवाई करेंगे जिनमें कोर्ट ने समयबद्ध निस्तारण का आदेश दिया है. इसके अतिरिक्त अन्य मामले जिनको जिला जज या अधिकरणों, परिवार न्यायालयों के पीठासीन अधिकारी उचित समझें, सुने जाएंगे.

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ई-मेल के जरिए दाखिल किए जाएंगे जमानत व अन्य प्रार्थनापत्र

हाईकोर्ट ने जिला अदालतों को एक ई-मेल आईडी तैयार करने का निर्देश दिया है. अधिवक्ता इसी ई-मेल के जरिए जमानत प्रार्थनापत्र व अन्य प्रार्थनापत्र दाखिल करेंगे. ई-मेल से भेजे जाने वाले प्रार्थनापत्रों में अधिवक्ता व वादकारी का नाम, मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी आदि विवरण अनिवार्य रूप से होना चाहिए.

कंप्यूटर सेक्शन ई-मेल से प्राप्त प्रार्थनापत्रों को डाउनलोड कर लिस्ट तैयार करेगा. ज्यूडिशियल सर्विस सेंटर को फ्रेश मुकदमे प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है. इस प्रकार से प्राप्त सभी प्रार्थनापत्रों को सीआईएस पर अपलोड करना होगा.

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी मुकदमों की सुनवाई

कंप्यूटर सेक्शन को वकीलों, वादकारियों और संबंधित लोगों को ई-कोर्ट एप की जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है. हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि एक अदालत में सिर्फ चार कुर्सियां ही रखी जाएंगी. गेट पर सैनिटाइजर की व्यवस्था रखनी होगी. अदालत का स्टॉफ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेगा.

जिला जजों को बार एसोसिएशन के सदस्यों से वार्ता कर कामकाज का तरीका निश्चित करने के लिए कहा गया है. जहां तक संभव हो. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुकदमों की सुनवाई करने के लिए कहा गया है. इसका वीडियो लिंक संबंधित अधिवक्ता, वादकारी और अभियोजन को शेयर किया जाएगा.

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