प्रयागराज:संगम नगरी में गंगा-यमुना में तेजी के साथ बढ़ते हुए जलस्तर से निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति आ गई है. हजारों घरों में पानी घुसने से लोग बेघर हो गए हैं. पानी बढ़ने की वजह से लोग राहत शिविर और रिश्तेदारों के घर शरण लेने को मजबूर हैं. बाढ़ प्रभावित इलाकों में खतरे को देखते हुए बिजली आपूर्ति बंद कर दी गई है. शहर में बाढ़ प्रभावित कई निचले इलाकों में नाव चलने लगी है.
प्रयागराज: 3 साल बाद खतरे के निशान पर गंगा-यमुना, हजारों लोग हुए बेघर
यूपी के प्रयागराज में गंगा-यमुना तीन साल बाद खतरे के निशान की ओर बढ़ रही हैं. गंगा-यमुना का जलस्तर खतरे के निशान मात्र 77 सेंटीमीटर की दूरी पर है. गंगा-यमुना के बढ़ते जलस्तर से निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति आ गई है.
हर जगह एनडीआरएफ की टीम की भी तैनाती हो गई है, जिससे बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके. तीन साल बाद गंगा-यमुना का जलस्तर 84 मीटर के निशान को लांघ गया है. अब दोनों नदियां खतरे के निशान मात्र 77 सेंटीमीटर की दूरी पर हैं. तीन साल पहले 2016 में गंगा-यमुना के जलस्तर ने खतरे के निशान को पार किया था.
एनडीआरएफ की टीम हुई तैनात
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में एनडीआरफ की टीम लगा दी गई है. छोटा बघाड़ा से लेकर दारागंज, सलोरी, राजापुर, झूंसी और यमुना नदी के किनारे जितने भी घर पानी में डूबे हैं, वहां एनडीआरफ की टीम तैनाती कर दी गई है. इसके साथ लोगों के बचाव के लिए नाव भी लगा दी गई है. लोग अपने घर का सामान एक जगह से दूसरे जगह शिफ्ट करने में लगे हैं. छोटा बघाड़ा में हजार से दो हजार घरों में पानी घुस चुका है. अभी गंगा-यमुना के जलस्तर में लगातार बढोतरी देखने को मिल रही है.
इस स्तर से बढ़ रहा जलस्तर
सोमवार की सुबह से जलस्तर बढ़ रहा है. गंगा-यमुना का जलस्तर प्रति घंटे तीन से चार सेंटीमीटर की रफ्तार के साथ बढ़ रहा है. गंगा का जलस्तर 84.36 सेंटीमीटर तक पहुंच गया है. वहीं यमुना का जलस्तर 83.36 सेंटीमीटर तक पहुंच गया है. नैनी इलाके में यमुना का पानी 84.20 मीटर तक पहुंच गया है.
हजारों घरों में घुसा पानी
पार्षद नितिन यादव ने बताया कि छोटा बघाड़ा में हजार से अधिक घरों में पानी घुस चुका है. सभी को नाव के द्वारा सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है. इसके साथ ही उन्हें निर्देशित भी किया जा रहा है कि दो दिनों तक पानी और बढ़ेगा, जिससे वह अपना घर खाली कर दें. सभी अपना घर खाली करके दूसरी जगह पर रहने को मजबूर हैं.