प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के 43 जिलों के सैकड़ों सस्ते गल्ले के दुकानदारों के लाइसेंस निरस्त करने के जिलाधिकारी के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. प्रदेश में कोरोड़ों के खाद्यान वितरण घोटाले का आरोप है. इस घोटाले की जांच साइबर सेल कर रही है.
कोर्ट ने कहा है कि डीलरों ने अपनी बेगुनाही साबित करने के बजाय अधिकारियों के खिलाफ निराधार आरोप ही लगाये हैं. सच्चाई यह है कि हाईब्रिड तकनीकी से राशन कार्डों को आधार कार्ड के साथ फीडिंग की जिम्मेदार डीलरों को सौंपी गई थी. इसी दौरान चंद आधार से सैकड़ों मृत राशन कार्डों को जोड़ कर घोटाले की बुनियाद तैयार कर ली गई थी. मेरठ में दो आधार कार्ड पर 311 राशन कार्ड जुड़े पाये गये. इसी तरह से अन्य जिलों में जुलाई 18 में खाद्यान्न वितरण घोटाला पकड़ में आया और व्यापक कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई है. जिसकी साइबर सेल जांच कर रही है.
कोर्ट ने घोटाले करने के आरोपी डीलरो (सस्ते गल्ले के दुकानदारों) के लाइसेंस निरस्त करने की चुनौती देने वाली सैकड़ों याचिकाओं को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति आर आर अग्रवाल ने मेरठ के अवधेश कुमार सहित 108 याचिकाओं पर दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि आधुनिक साइंस व तकनीकी करोड़ों लोगों के जीवन का हिस्सा बन गई है. 21 सदी में तकनीकी से समाज के कमजोर व गरीब तबके के जीवन को सुधारने में मददगार साबित हो रही है. केंद्र सरकार की तमाम लाभकारी योजनाओं को तकनीकी के जरिए जोड़ा गया है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू कर मामूली कीमत पर जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक आहार पहुंचाया जा रहा है. ताकि लोग गरिमा मय जीवन जी सकें. इसी कड़ी में सरकार ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए राशन कार्ड धारकों को खाद्यान्न वितरित कर रही है. कानून में लोगों को सब्सिडी वाले खाद्यान्न पाने का अधिकार दिया गया है. राशन कार्डों को बायोमेट्रिक मशीन से जोड़ा गया है. ताकि पात्र व्यक्तियों तक सरकार की योजनाएं पहुंच सके.