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वाराणसी पेयजल परियोजना प्रबंधक के खिलाफ 3 माह में जांच पूरी करने का आदेश - varanasi drinking water project

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी पेयजल परियोजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी को लेकर परियोजना प्रबन्धक के खिलाफ विभागीय जांच तीन माह में पूरी करने का निर्देश दिया है. साल 2009 में स्‍वीकृत पेयजल परियोजना में व्यापक तौर पर घोटाला करने का मामला सामने आया था, जिसका कोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया आदेश.

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Published : Sep 30, 2019, 5:27 PM IST

प्रयागराज:वाराणसी पेयजल योजना घोटाले के आरोपी परियोजना प्रबंधक के खिलाफ विभागीय जांच तीन माह में पूरी करने का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है, क्योंकि 227.21 करोड़ की योजना को टुकड़ों में बांट कर गुणवत्ता के खिलाफ काम कराने का आरोप है. लिहाजा मुख्यमंत्री के आदेश पर पूर्व में तीन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी. इसके अलावा याची को निलंबित कर प्रारम्भिक जांच में दोषी पाए जाने पर नियमित जांच बैठाई गई थी. साथ ही ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट करने का भी आदेश दिया गया था. फिलहाल कोर्ट ने याची को सुनवाई का पूरा मौका देकर जांच पूरी करने का निर्देश दिया है.

न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने दिए जांच के आदेश
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने परियोजना प्रबंधक राजेंद्र प्रसाद पांडेय की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. इस याचिका पर परियोजना के अधिवक्ता प्रांजल मेहरोत्रा ने प्रतिवाद किया. याची का कहना था कि निलंबित करने के पहले आरोपों पर विचार नहीं किया गया. बिना उसका पक्ष सुने आदेश दे दिया गया. लिहाजा कोर्ट ने प्रारम्भिक जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा. जिस पर पेश रिपोर्ट में आरोपों को प्रारम्भिक जांच में सही पाया गया तो अब कोर्ट ने याची का पक्ष सुनकर नियमित जांच करने का आदेश दिया है.

सेवानिवृत्त अधिकारी के पेंशन से घोटाले की राशि वसूली जाएगी
याची का कहना था कि जनवरी 2020 में वह सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इससे पहले ही जांच को पूरी कर ली जाए, जिसमें कोर्ट ने याची को 15 दिन में आरोपों का जवाब दाखिल करने और जांच में सहयोग करने का भी आदेश दिया है. इसके साथ घोटाले के आरोप में पूर्व प्रबंधक निदेशक के. के श्रीवास्तव, प्रबंधक राजेंद्र प्रसाद पांडेय और प्रबंधक सतीश कुमार के विरुद्ध कार्रवाई की गई है. वहीं आदेश में यह भी कहा गया है कि सेवानिवृत्त अधिकारी के पेंशन से घोटाले की राशि वसूली जाए.

2009 में स्‍वीकृत पेयजल परियोजना में हुआ था घोटाला
मालूम हो कि जेएनएनयूआरएम के तहत वर्ष 2009 में स्‍वीकृत पेयजल परियोजना का ठेका दिया गया था, जिसमें उसने मुख्य मार्गों का काम कराया और गलियों का कार्य छोड़ दिया. कंपनी ने कहा कि निर्धारित कार्य का 80 फीसदी काम पूरा करा दिया है. अब वह बचे काम का भुगतान नहीं लेगा, लेकिन कंपनी ने अपना बचा सामान विभाग को बेंचकर भुगतान भी ले लिया. इसके बाद गलियों का काम अधिकारियों ने छोटे ठेकेदारों से बिना टेंडर के कराया. इसके बाद मनमाने तौर पर काम कराने और घोटाले की शिकायत की गई. जिस पर अधिकारियों और छोटे ठेकेदारों पर कार्रवाई की गई.

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