प्रयागराज: इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है, यानी आज से जो 30 मार्च तक रहेगी. 30 मार्च को ही राम नवमी भी मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में नवरात्रि को बेहद पवित्र माना गया है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. इन नौ दिनों में माता रानी की पूजा-अर्चना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. इस बार की चैत्र नवरात्रि को बेहद ही खास माना जा रहा है, क्योंकि ये पूरे 9 दिन होगी. शास्त्रों के अनुसार, पूरे नौ दिन की नवरात्रि शुभ मानी जाती है. इसके अलावा मां दुर्गा का आगमन नाव यानी नौका पर हुआ है. यह भी एक प्रकार का शुभ संकेत है.
हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चैत्र नवरात्रि का महापर्व मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करने की परंपरा है. वहीं, नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है. देवी शैलपुत्री दुर्गा के उन नौ रूपों में से सबसे पहला रूप हैं, जिनकी नवरात्रि उत्सव के नौ दिनों में पहले दिन पूजा की जाती है. इस पर्व का प्रत्येक दिन माता दुर्गा के एक रूप को समर्पित होता है.
शैलपुत्री जिसका अर्थ होता है पर्वत की पुत्री. यही कारण है कि इन्हें देवी शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घट स्थापना की जाती है. मान्यता है कि नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, शुभ रंग और भोग के बारे में पंडित शिप्रा सचदेव जी से.
कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त
प्रातः 6:05 से संपूर्ण दिन जब तक सूर्यास्त नहीं होता. अभिजीत मुहूर्त 11.35 से 12.40 तक.
ऐसा है मां शैलपुत्री का स्वरूप