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Banke Bihari Mandir Corridor : प्रबंधन को सरकार का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं, कोर्ट ने सरकार से पूछा- कैसे बनाएंगे कॉरिडोर

श्री बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर (Banke Bihari Mandir Corridor) बनाने को लेकर मंदिर के सेवायतों और प्रदेश सरकार के बीच सहमति नहीं बन पा रही है. कोर्ट ने इसके लिए सरकार से कहा है कि वह बताए कि किस प्रकार से कॉरिडोर का निर्माण संभव होगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 26, 2023, 8:17 PM IST

प्रयागराज: श्री बांके बिहारी मंदिर के सेवायतों को मंदिर प्रबंधन में सरकार का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है. बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने के मामले की हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान सेवायतों की ओर से मंगलवार को एक बार फिर यह स्पष्ट किया गया कि मंदिर प्रबंधन कॉरिडोर के लिए न तो धन देगा और न ही मंदिर के कामकाज में सरकार के किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को स्वीकार किया जाएगा. यदि सरकार वहां व्यवस्थाएं बनाना चाहती है तो वह अपने स्तर से बनाए. इस मामले की सुनवाई कर रहीं मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि वह मंदिर के पैसे को छोड़कर अन्य कोई तरीका बताएं कि किस प्रकार से कॉरिडोर का निर्माण संभव हो सकेगा.

मथुरा श्री बांके बिहारी मंदिर

कोर्ट में प्रदेश सरकार से पूछा है कि कॉरिडोर बनाने में कितना खर्च आएगा और इसका इंतजाम सरकार किस प्रकार से करेगी. कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि बनारस में कॉरिडोर बनाने में कितना धन खर्च हुआ था. प्रदेश सरकार का पक्ष रख रहे अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि यदि एक ट्रस्ट बना दिया जाए तो उसमें सरकार भी अंशदान दे सकती है. लेकिन, मंदिर सेवायतों को ट्रस्ट का प्रस्ताव मंजूर नहीं था. अपर महाधिवक्ता का कहना था कि जमीन के अधिग्रहण में लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च होंगे और अन्य धनराशि भी लगेगी. इसका इंतजाम मंदिर में आने वाले चढ़ावे और सरकार द्वारा मिलकर किया जा सकता है. इस पर कोर्ट का कहना था कि सरकार अपनी ओर से क्या करेगी, इस बारे में जानकारी दे. इस पर अपर महाधिवक्ता ने कहा कि उनका बेहतर हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय चाहिए. इस पर कोर्ट ने 5 अक्टूबर की तारीख नियत की है.

उल्लेखनीय है कि श्री बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ से होने वाली असुविधा को देखते हुए प्रदेश सरकार ने मंदिर के चारों ओर कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव दिया है. सरकार चाहती है कि मंदिर में आने वाले चढ़ावे की रकम से कॉरिडोर का निर्माण किया जाए. लेकिन, मंदिर के सेवायतों का कहना है कि मंदिर एक प्राइवेट संपत्ति है और वह इसमें सरकार का किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं. इस पर कोर्ट ने दोनों पक्षों को इस मसले का समाधान बताने के लिए कहा है.

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