प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में अपनी मांगों को पूरा न किए जाने के विरोध में 72 घंटे की हड़ताल करने वाले विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के 28 पदाधिकारियों का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक माह का वेतन और पेंशन रोकने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह उन लोगों को एक प्रकार से चेतावनी देने वाली कार्रवाई है, जो कानून के राज को हतोत्साहित करना चाहते हैं. कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि भविष्य में इस प्रकार की हड़ताल ना की जाए.
बिजली कर्मचारियों की 72 घंटे की हड़ताल से हुई परेशानी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता विभु राय ने कोर्ट के समक्ष अर्जी दाखिल कर यह मामला उठाया था. इससे पूर्व हाईकोर्ट ने दिसंबर 2022 में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर स्वत: संज्ञान लेते हुए आदेश पारित कर हड़ताल न करने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर कर्मचारी मोर्चा के पदाधिकारियों को तलब भी किया था. लेकिन आदेश के अनुपालन में कोई भी उपस्थित नहीं हुआ और ना ही कोई हलफनामा दाखिल किया गया. इस पर अदालत ने सभी पदाधिकारियों को जमानती वारंट जारी कर दिया था.
हाईकोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया बिजली कर्मचारियों ने राज्य सरकार द्वारा रोक लगाए जाने और अदालत के आदेश का उल्लंघन कर हड़ताल की है. हाईकोर्ट द्वारा 16 दिसंबर 2022 को नोटिस जारी किए जाने के बावजूद कोई भी कर्मचारी नेता अदालत में उपस्थित नहीं हुआ. इस प्रकार से अदालत के आदेश का असम्मान किया गया. यहां तक कि अदालत में हाजिर होने के बावजूद वह या आश्वासन देने को तैयार नहीं है कि भविष्य में हड़ताल नहीं की जाएगी. कोर्ट ने बिजली कर्मचारियों को यह भी चेतावनी दी है कि भविष्य में इस प्रकार का कार्य न करें. कोर्ट ने कहा कि यदि दोबारा ऐसी कोशिश की जाती है तो उसकी परिणति कानूनी परिणाम के रूप में होगी. कोर्ट ने कहा है कि निर्दोष जनता को परेशानी नहीं होनी चाहिए तथा अस्पताल, बैंक जैसी आवश्यक सेवाएं बाधित न की जाए.