प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्थिक रूप से पिछड़े कोटे के तहत आरक्षण के लिए दावा करने वाले मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को सहायक अभियोजन अधिकारी परीक्षा में शामिल करने का लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि अभ्यर्थी परीक्षा में सफल रहता है तो उसका साक्षात्कार भी कराया जाए, मगर उसका परिणाम कोर्ट की अनुमति के बिना जारी नहीं किया जाएगा.
कोर्ट ने विपुल शुक्ला की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने दिया है. इसकी परीक्षा 9 दिसंबर से होनी है. इसे देखते हुए कोर्ट ने शनिवार को अवकाश के बावजूद मामले की सुनवाई की. इससे पूर्व कोर्ट ने मुख्य स्थाई अधिवक्ता से आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के मामले में अपनाई गई नीति की जानकारी देने का निर्देश दिया था. इसके लिए उन्होंने 24 घंटे की मोहलत मांगी थी.
सुनवाई के दौरान मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष है दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा की अभ्यर्थी ने पिछड़ा वर्ग कोटे के तहत आरक्षण हेतु आवेदन किया था. मगर इस वर्ग में उसके अंक कट ऑफ नंबर से कम है, इसलिए उसे इस वर्ग में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता. जबकि याची की ओर से कहना था कि उसने जनरल कैटेगरी के तहत आवेदन किया था. इस वर्ग में उसके अंक कट ऑफ अंक से ज्यादा है, इसलिए उसे मुख्य परीक्षा में शामिल किया जाए. इस पर कोर्ट ने लोक सेवा आयोग को अगली सुनवाई पर अभ्यर्थी का मूल आवेदन फार्म प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. इस दौरान याची को मुख्य परीक्षा में शामिल करने के लिए कहा है.
याचिका में कहा गया है कि सहायक अभियोजन अधिकारी के बचे हुए 69 पदों पर नियुक्ति करने के लिए दोबारा विज्ञापन जारी किया गया. मगर इसमें आर्थिक पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए रोस्टर का ठीक तरीके से पालन नहीं किया गया. याचीकाकर्ता का कहना है कि 13 अगस्त 2019 के रोस्टर के अनुसार सामान्य वर्ग के लिए 28 सीटें होनी चाहिए. मगर सिर्फ 19 सीटें दी गई हैं. इनमें यदि आर्थिक पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित 6 सीटें जोड़ भी दी जाए तभी 27 ही हो रही है. कोर्ट ने आयोग के अधिवक्ता से अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका अवश्य प्राप्त अंकों की तालिका मांगी थी, जो आज सुनवाई के दौरान प्रस्तुत की गई. इसके हिसाब से सामान्य वर्ग में अब याची को 18 अंक से अधिक अंक प्राप्त हुए हैं.
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