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माता-पिता दोनों के सरकारी सेवा में होने से नियुक्ति नहीं देने का निर्णय अनुचित, इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला - compassionate appointment

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने आज एक मृतक आश्रित कोटे के तहत अनुकंपा नियुक्ति मामले (Compassionate Appointment Case) में फैसला सुनाया. कहा कि माता-पिता दोनों के सरकारी सेवा में होने पर भी अनुकंपा नियुक्ति का दावा खारिज नहीं किया जा सकता है, जब तक यह निर्णय न हो जाए कि आश्रित किस हद तक निर्भर है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 11, 2024, 10:45 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मृतक आश्रित कोटे के तहत अनुकंपा नियुक्ति का दावा सिर्फ इस आधार पर नहीं खारिज किया जा सकता कि आश्रित के माता-पिता दोनों सरकारी सेवा में हैं. कोर्ट ने कहा कि दावे पर निर्णय लेते समय इस बात पर विचार करना आवश्यक है कि आश्रित किस हद तक मृतक पर निर्भर था. कोर्ट ने पुलिस विभाग में मृतक आश्रित कोटे के तहत आवेदन करने वाले आशीष प्रकाश की याचिका स्वीकार करते हुए पुलिस विभाग के 18 फरवरी 2019 के आदेश को रद्द कर दिया है. उसके आवेदन पर नए सिरे से विचार कर निर्णय लेने के लिए कहा है. न्यायमूर्ति प्रकाश पटिया ने यह आदेश याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी को सुनकर दिया.

याची का कहना था कि उसके पिता पुलिस विभाग में कार्यरत थे. 2017 में उनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई. याची ने मृतक आश्रित कोटे के तहत अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. लेकिन, उसका आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि चूंकि याची की माता भी पुलिस विभाग में सेवारत हैं. इसलिए, उसे अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती है. अधिवक्ता ने 9 फरवरी 2016 के हाईकोर्ट के खंडपीठ द्वारा पारित एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि माता-पिता दोनों के सरकारी सेवा में होने मात्र के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति का दावा खारिज नहीं किया जा सकता है. जब तक कि इस बात पर विचार न किया जाए कि आवेदक मृतक पर किस हद तक आश्रित था. कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए विभागीय आदेश को रद्द कर दिया और याची के आवेदन पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया.

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