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पूर्वोत्तर रेलवे पुलिस बल मुख्य सुरक्षा आयुक्त अवमानना के दोषी करार, किया तलब - मुख्य सुरक्षा आयुक्त रेलवे पुलिस बल पूर्वोत्तर रेलवे

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सुरक्षा आयुक्त रेलवे पुलिस बल पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर सुनील कुमार श्रीवास्तव को अवमानना का दोषी करार दिया है. हाईकोर्ट ने हलफनामे के साथ 18 अप्रैल को हाजिर होने का निर्देश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published : Apr 14, 2022, 12:05 PM IST

प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सुरक्षा आयुक्त रेलवे पुलिस बल पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर सुनील कुमार श्रीवास्तव को अवमानना का दोषी करार दिया है. अपर सॉलिसिटर जनरल के 24 घंटे में आदेश के अनुपालन के आश्वासन पर मुख्य सुरक्षा आयुक्त को अनुपालन हलफनामे के साथ 18 अप्रैल को हाजिर होने का निर्देश दिया है.

हाईकोर्ट ने कहा है कि मुख्य सुरक्षा आयुक्त ने आवास किराये और डीए का भुगतान न कर कोर्ट के याची की सेवा बहाली के साथ सभी सेवा जनित लाभों का भुगतान न कर आदेश की अवहेलना की है. क्योंकि नियमावली के तहत याची इनका भुगतान पाने का हकदार है. इसके भुगतान पर कोई रोक नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने आरपीएफ के कॉन्स्टेबल कृत्यानंद राय की अवमानना याचिका पर दिया.

हाईकोर्ट ने याची की बर्खास्तगी को अनुच्छेद 311(1) के विपरीत होने के कारण 11 अगस्त 2015 को रद्द कर दिया और सेवा में बहाली सहित सभी सेवा जनित लाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया. इसका पालन न होने पर 2016 में अवमानना याचिका दायर की गई. पांच साल बाद कोर्ट के कड़े रुख पर याची को सेवा में बहाल किया गया, लेकिन लाभों का भुगतान नहीं किया गया.

हाईकोर्ट ने मुख्य सुरक्षा आयुक्त के खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित कर कारण बताओ नोटिस दिया कि क्यों न आदेश की अवहेलना करने पर सजा सुनाई जाय. इसके बाद हलफनामा दाखिल कर कहा कि पूरा भुगतान कर दिया गया है. इसपर याची अधिवक्ता राजीव चड्ढा ने आपत्ति की और कहा कि केवल बकाया वेतन व डियरनेस भत्ते का ही भुगतान किया गया है. आवास किराया व डीए का भुगतान नहीं किया गया है, जो आदेश का पूरी तरह से पालन नहीं है.

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एएसजीआई शशि प्रकाश सिंह ने नियमावली के हवाले से कहा कि जितने का हक था, भुगतान कर दिया गया है. इस पर हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या किराया व डीए सेवा जनित लाभों में शामिल नहीं है और किसी नियम से बहाल कर्मचारी को भुगतान करने पर रोक लगी है. नियमावली में इन भत्तों को अलग नहीं किया गया है. भुगतान करने में कोई अवरोध भी नहीं है. यह नहीं है कि बर्खास्तगी से बहाल कर्मी आवास किराया व डीए का हकदार नहीं है, इसलिए भुगतान न करना आदेश की अवहेलना करना है. हाईकोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी.

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