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एजीए प्रथम एके संड को मिला हाईकोर्ट के राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी लगाने और हाजिरी लेने का जिम्मा

विशेष सचिव न्याय राकेश कुमार शुक्ल ने हाईकोर्ट के राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी लगाने और उनकी हाजिरी का जिम्मा अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम आशुतोष कुमार संड को सौंप दिया है. शासकीय अधिवक्ता के अधिकार में कटौती की गई है.अब शासकीय अधिवक्ता के पास केवल प्रशासनिक व काउंटर अलाटमेंट का अधिकार रह गया है.

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Published : Aug 20, 2021, 5:20 AM IST

एजीए प्रथम एके संड को मिला हाईकोर्ट के राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी लगाने और हाजिरी लेने का जिम्मा
एजीए प्रथम एके संड को मिला हाईकोर्ट के राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी लगाने और हाजिरी लेने का जिम्मा

प्रयागराज: आधा दर्जन राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी के बावजूद कोर्ट में केवल एक के ही बहस करने से न्यायालय की तल्खी से न्याय विभाग में मची खलबली का असर गुरुवार को दिखाई दिया. विशेष सचिव न्याय राकेश कुमार शुक्ल ने हाईकोर्ट के राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी लगाने और उनकी हाजिरी का जिम्मा अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम आशुतोष कुमार संड को सौंप दिया है.

एजीए प्रथम एके संड प्रतिदिन सभी अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम व अपर शासकीय अधिवक्ता और ब्रीफ होल्डरों की तैयारी के अनुसार ड्यूटी लगाएंगे. साथ ही सुबह साढ़े दस बजे ड्यूटी चार्ट और शाम पांच बजे उपस्थिति चार्ट सूचनार्थ शासन को प्रेषित भी करेंगे. शासकीय अधिवक्ता के वित्तीय अधिकार सपा शासनकाल में ही अपर विधि परामर्शी को दे दिया गया था. राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी व हाजिरी का दायित्व एजीए प्रथम एके संड को सौंपे जाने से अब शासकीय अधिवक्ता के पास केवल प्रशासनिक व काउंटर अलाटमेंट का अधिकार रह गया है.

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गौरतलब है कि एक कोर्ट में आधा दर्जन राज्य विधि अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई थी, लेकिन पूरे दिन केवल एक के उपस्थित रहने पर असंतोष जताया था और विधि परामर्शी को तलब कर लिया था. अधिवक्ताओं की कोर्ट में बहस के लिए हाजिर होने की व्यवस्था सुधारने का आदेश दिया था. उधर, एक अन्य न्यायालय में अधिकारियों को कोर्ट के आदेश की जानकारी देने में लापरवाही पर भी जांच के आदेश दिए गए थे. उसके बाद न्याय विभाग और महाधिवक्ता भवन में खलबली मच गई थी. उसके बाद दो अपर महाधिवक्ताओं, शासकीय अधिवक्ता वह अपर शासकीय अधिवक्ता कुल चार सरकारी वकीलों को कारण बताओ नोटिस दी गई. इनसे इस्तीफा लिए जाने की चर्चा भी महाधिवक्ता भवन से हाईकोर्ट परिसर तक कई दिन होती रही थी.

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