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दो बार विकलांगता की पुष्टि के बाद फिर से मेडिकल जांच पर रोक, राज्य सरकार से जवाब तलब - विकलांगता की पुष्टि

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिव्यांग कोटे में नियुक्त सहायक अध्यापक की दो बार शारीरिक जांच में 40 फीसदी अक्षमता की पुष्टि होने के बावजूद तीसरी बार जांच के लिए बुलाने के आदेश की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. साथ ही यह भी कहा कि इस आधार पर वेतन न रोका जाए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

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Published : Aug 20, 2021, 9:37 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिव्यांग कोटे में नियुक्त सहायक अध्यापक की दो बार शारीरिक जांच में 40 फीसदी अक्षमता की पुष्टि होने के बावजूद तीसरी बार जांच के लिए बुलाने के आदेश की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. बेसिक शिक्षा अधिकारी औरैया को निर्देश दिया है कि वह याची का इस आधार पर वेतन न रोकें. साथ ही दो हफ्ते में बकाया वेतन भुगतान करें.

कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिका पर चार हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 15 सितंबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने श्रीमती रजनी त्रिपाठी की याचिका पर दिया है. याची अधिवक्ता अनुराग शुक्ल का कहना है कि याची ने सहायक अध्यापक भर्ती विकलांग कोटे में विकलांगता प्रमाण पत्र के साथ आवेदन दिया. शारीरिक दक्षता टेस्ट के लिए मेडिकल बोर्ड ने बुलाया. जांच में 40 फीसदी विकलांगता पाई गई. उसकी नियुक्ति कर दी गई.

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फिर दुबारा 23 जून 2018 को मेडिकल जांच की गई. 40 फीसदी अक्षमता पाई गई. 20 जुलाई 18 को एक शासनादेश जारी किया गया. इसके आधार पर फिर से 6 जनवरी 21 के आदेश से बीएसए ने मेडिकल जांच के लिए बुलाया है. जिसे चुनौती दी गई है. कोर्ट ने आदेश की कार्यवाही पर रोक लगा दी है.

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