प्रयागराज:14 सितंबर को देश भर में हिंदी दिवस मनाया गया. इस मौके परइलाहाबाद उच्च न्यायालय की हिंदी समिति ने कोविड-19 के कारण वर्चुअल गोष्ठी आयोजित की. हिंदी को सम्मान दिलाने के आंदोलन में अग्रणी रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एवं इटावा हिंदी सेवा निधि के महासचिव प्रदीप कुमार ने कहा कि, हिंदी मात्र एक भाषा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का संवाहक भी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदी को व्यावहारिक जीवन में उपयोग में लाने का संकल्प लिया जाए.
प्रदीप कुमार ने कहा वरिष्ठ अधिवक्ता पं. दयाशंकर मिश्रा ने उच्च न्यायालय में हिंदी में याचिकायें दाखिल कर मील का पत्थर स्थापित किया है. उन्होंने कहा कि जब तक भारत के सभी राज्य हिंदी को अपने राज्य की राजभाषा मानने का प्रस्ताव पारित करके नहीं भेजते हैं, तब तक हिंदी को राष्ट्र भाषा का स्थान नहीं मिल सकेगा.
समिति के महासचिव एच. एल. पाण्डेय ने कहा कि हिंदी का उद्गम स्थल भारत है. साहित्य, ज्ञान, विज्ञान, प्रशासन और न्याय की भाषा जब तक हिंदी नहीं बनती है, तब तक सब बेमानी है. उन्होंने बताया कि पहला हिंदी दिवस 1953 में मनाया गया था. वहीं हिंदी विधि पत्रकारिता में विशेष महत्व रखने वाले कृष्ण जी शुक्ल ने बताया कि सत्ता हस्तांतरण में भाषा का भी हाथ होता है. पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व विदेशमंत्री स्व. सुषमा स्वराज और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व पटल पर हिंदी में संवाद करके हिंदी को विश्व की आधिकारिक भाषा बनाने का प्रयास किया है.