पीलीभीत : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद सांसद वरुण गांधी दो दिवसीय दौरे पर पीलीभीत पहुंचे. यहां जनसभाओं के दौरान सांसद वरुण गांधी ने जनता से कहा कि वह इकलौते सांसद हैं, जो किसानों के समर्थन में खड़े रहे और किसानों के हक की आवाज उठाई.
सांसद वरुण गांधी ने अपने दो दिवसीय दौरे के पहले दिन रविवार को बरखेड़ा इलाके के अलसिया भोज, लखनऊ कला मधुपुरी, काजल भौजी, समेत दर्जनों गांव में ताबड़तोड़ जनसभाएं की. जन सभाओं के दौरान सांसद वरुण गांधी ने कहा कि मैं किसी का शत्रु या विरोधी नहीं हूं. लेकिन मैं यह मानता हूं कि जो देश का असली मालिक और राजा है, वह इस देश का किसान है. छोटा व्यापारी है ,मजदूर है. हम लोगों को यह तय करना है कि हम किसका हाथ मजबूत करना चाहते हैं.
वरुण गांधी ने कहा- किसान आंदोलन 1 साल चला है. 700 से ज्यादा किसान भाई देश में शहीद हुए. सबसे दुख की बात है की चंद राजनैतिक लोगों ने ही किसानों का पक्ष लिया, बाकी सब शांत रहे. कृषि कानून वापस होने के बाद मुझे अलग-अलग इलाकों से लोगों के फोन आ रहे हैं कि आपने शुरू से किसानों के हक में आवाज उठाई. आपके अलावा किसी ने आवाज नहीं उठाई. ऐसे में मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं कि जब जनप्रतिनिधि आपके बीच समर्थन मांगने आएंगे, आपसे वोट मांगने आएंगे तो आप बोल दीजिएगा कि जब हमारे भाई दिल्ली में सर्दी, बारिश, ओले और गर्मी में तप रहे थे, तब आप लोग कहां थे. आप की आवाज कहां थी.
सांसद वरुण गांधी ने कहा कि जब मैं छोटा था तो सोचता था कि मेरा क्या होगा. अब मैं रोज यह सोचता हूं कि देश का क्या होगा. हम लोग किसानों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. ये लड़ाई इसलिए लड़ रहे हैं कि आपके पूर्वजों और हमारे पूर्वजों ने मिलकर जो स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी है, वह गाड़ी घोड़े के लिए नहीं लड़ी. वह मान सम्मान के लिए लड़ी गई लड़ाई थी और दुनिया में मान सम्मान से बड़ी कोई चीज नहीं होती.
मंडियों में आज भी किसानों का धान पड़ा है. सरकारी मूल्य 1940 रुपये है, लेकिन किसानों का धान 1100 और 1200 रुपये में खरीदा जा रहा है. किसी भी किसान को 1940 रुपए का रेट नहीं मिला. हम ऐसे में न्यूनतम समर्थन मूल्य की लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसका मतलब है कि किसानों की फसल का सही दाम मिले और दाम की गारंटी सरकार ले. देश के अंतिम व्यक्ति की आर्थिक सुरक्षा तय करना आज सबसे बड़ा प्रश्न है. हम कौन सी राजनीति करना चाहते हैं, जिसमें हमारी विजय है या देश की विजय है.
सांसद वरुण गांधी ने कहा कि ताकत वह नहीं है जो अपने आप को बड़ा कर उसका मतलब निकले, ताकत वह है जो दूसरों को उठाने के लिए इस्तेमाल की जाए. मैं एक ऐसा हिंदुस्तान देखना चाहता हूं, जिसमें सब का हिस्सा हो, जिसमें सब के अधिकारों की रक्षा हो, जिसमें ईमानदार नेता हों.