पीलीभीत:पीलीभीत से लखनऊ के सफर को आसान बनाने के लिए रेल विभाग ने पीलीभीत से होकर लखनऊ के लिए जाने वाली छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदलने के लिए कवायद शुरू की थी, इसके तहत मई 2018 में मेगा ब्लॉक लेने के बाद काम भी शुरू हो गया था. इसी बीच रेलवे विभाग ने पीलीभीत जनपद के लगभग 100 वर्ष पुराने माला रेलवे स्टेशन को खत्म कर एक रेलवे हॉल्ट के रूप में बदलने के निर्णय ले लिया. अब इसको लेकर स्थानीय ग्रामीणों में रोष है. ग्रामीणों बड़ी संख्या में रेलवे ट्रैक पर ही आकर धरने पर बैठ गए हैं.
दरअसल, पीलीभीत से होकर लखनऊ जाने वाले 256 किलोमीटर लंबे छोटी रेलवे लाइन के मार्ग को रेलवे विभाग ने बड़ी लाइन में बदलने का फैसला लिया. जिसको लेकर मई 2018 में मेगा ब्लॉक लेने के बाद काम शुरू कर दिया गया. इस बीच पीलीभीत के प्राचीन माला रेलवे स्टेशन को रेलवे विभाग ने हाल्ट में बदलने का निर्णय ले लिया स्थानीय ग्रामीणों में रेलवे के इस फैसले को लेकर रोड था. शनिवार देर शाम बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण स्टेशन से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक पर ही आकर धरने पर बैठ गए.
रेलवे स्टेशन का बचाने के लिए शुरू हुआ अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन
पीलीभीत जनपद के लगभग 100 वर्ष पुराने माला रेलवे स्टेशन को खत्म कर एक रेलवे हॉल्ट के रूप में बदलने के सरकार के निर्णय को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में रोष है. शनिवार देर शाम बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण स्टेशन से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक पर ही आकर धरने पर बैठ गए.
धरना-प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि इस स्टेशन की जगह हॉल्ट बनने से लगभग 60 से 70 हजार की आबादी के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. उनके जीवन में बेहतर रोजगार, शिक्षा एवं यातायात का बड़ा संकट खड़ा होगा. पीलीभीत टाइगर रिजर्व के सबसे करीब का स्टेशन होने की वजह से पर्यटन के माध्यम से जो हजारो-लाखों देशी-विदेशी पर्यटकों के आने की थी, वो संभावनाएं खत्म हो जाएगी, नए रोजगार का सृजन हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा.
प्रभावित क्षेत्र के आक्रोशित पीड़ित ग्रामीणों का कहना है कि इसको हॉल्ट बनने से रोकने के लिए उन्होंने सभी प्रयास कर चुके हैं, लिखित रूप से उन्होंने सत्तापक्ष के जिले के जनप्रतिनिधियों, सांसद, पूर्वोत्तर रेलवे बरेली डिवीजन के उच्च अधिकारियों व जनपद के जिलाधिकारी को इस समस्या के निदान के लिये अवगत कराया. साथ ही मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री कार्यालय को भी अपनी मांग प्रेषित की, लेकिन हमारी मांग को लेकर न कहीं सुनवाई हुई और न ही कहीं सुनवाई हुई. वहीं जब पहले क्षेत्र के लोगों ने कार्य को बंद करने का आग्रह किया तो ठेकेदार और रेलवे के अधिकारियों ने पीड़ित क्षेत्रवासियों को उल्टा डराने और धमकाने का कार्य किया, साथ ही पुलिसिया कार्रवाई की धमकी दी.
ग्रामीणों का कहना है कि कहीं सुनवायी न होता देखकर सभी पीड़ित ग्रामीणों ने मिलकर किसान आंदोलन से प्रेरणा लेते हुए फैसला लिया कि अब धरना-प्रदर्शन ही एक मात्र माध्यम जिससे उनकी वाजिब मांग को मनवाया जा सकता है. शनिवार को ग्रामीणों ने संघर्ष क्रम को आगे बढ़ाते हुए पूर्व राज्यमंत्री हेमराज वर्मा को आमंत्रित कर आन्दोलन की सांकेतिक शुरुआत की.
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इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सपा सरकार के पूर्व राज्यमंत्री हेमराज वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा माला स्टेशन पीलीभीत की ऐतिहासिक धरोहर है, जो क्षेत्र के लोगों की लाइफ लाइन है, वर्तमान की डबल इंजन की भाजपा सरकार आज माला स्टेशन के खत्म करने के निर्णय से हजारों लोगों को वर्तमान और भविष्य को बर्बाद करने का काम कर रही है, जिसे कतई नहीं होने दिया जाएगा. इसके लिए हमें चाहे कितना भी संघर्ष क्यों न करना पड़े. लेकिन हम सभी लोग पीछे हटने वाले नहीं. हम सभी लोग मिलकर पुनः माला स्टेशन को पुनः बतौर माला स्टेशन के रूप में बहाल करायेंगे.
आज के इस धरना-प्रदर्शन को संगठित रूप से आगे बढ़ाने के लिए 'माला स्टेशन बचाओ संघर्ष समिति' का निर्माण हुआ, जिसमें दर्जनों ग्राम पंचायत के सभी मुख्य लोग बढ़-चढ़कर समिति का हिस्सा बनें. अब यह संघर्ष-समिति स्टेशन को बचाने की लड़ाई में अपनी अहम भूमिका तय करेगी. आज से शुरुआत हुए इस अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन सैकड़ों लोगों ने शामिल होकर अपने आक्रोश की अभिव्यक्ति की, अपनी मांगों लेकर प्रतिबद्धता जतायी.
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