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अभिभावकों का नो स्कूल, नो फीस अभियान

चंदौली में वैश्विक महामारी कोरोना काल में निजी स्कूलों की फीस वसूली के विरोध में अभिभावकों का आंदोलन अब धीरे-धीरे भूख हड़ताल का रूप लेना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में दीनदयाल उपाध्याय नगर के अभिभावकों का एक दल सोमवार को हिनौली स्थित सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल के बाहर भूख हड़ताल पर बैठ गया.

campaign of parents
अभिभावकों का भूख हड़ताल

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Published : Dec 21, 2020, 6:08 PM IST

चंदौलीःवैश्विक महामारी कोरोना काल में निजी स्कूलों की फीस वसूली के विरोध में अभिभावकों का आंदोलन अब धीरे-धीरे भूख हड़ताल का रूप लेना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में दीनदयाल उपाध्याय नगर के अभिभावकों का एक दल सोमवार को हिनौली स्थित सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल के बाहर भूख हड़ताल पर बैठ गया. अभिभावकों का आरोप है कि इस संकट काल में स्कूलों का रवैया तनिक भी उदार नहीं दिख रहा है. सरकार भी इस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं कर रही है. ऐसे में अभिभावक खुद नो स्कूल, नो फीस के तहत ये मुहिम चलाई है.

नो स्कूल, नो फीस अभियान
नकली आदेश दिखाकर जबरन फीस वसूली का आरोपइस अभियान के संयोजक सतनाम सिंह ने बताया कि जहां एक ओर स्कूल प्रबंधक फीस वसूलने के नाम पर नए-नए हथकंडे अपना रहा है. वहीं दूसरी ओर अभिभावकों पर यह स्कूल फीस चक्रवृद्धि ब्याज की तरह बोझिल होता जा रहा है. फीस अब लगान की तरह वसूली जाने लगी है. शिक्षा शुल्क में रियायत देने की जगह शासन-प्रशासन का झूठा आदेश और डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा के पुराने वक्तव्य का हवाला देते हुए स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को डरा और धमका रहा हैं.


फीस माफी के लिए भूख हड़ताल पर बैठे है अभिभावक
सेंट मेरी कॉन्वेंट स्कूल के अनशनरत अभिभावकों का कहना हैं की मिशनरी द्वारा संचालित इस स्कूल के प्रति हम अभिभावकों में आशा और विश्वास था, कि यह स्कूल अपनी उदारता का परिचय देगा. स्कूल बन्दी के दौरान के समय पर फीस माफी पर भी पहल किया जाएगा. लेकिन यह स्कूल सेवा शिक्षा के बजाय स्कूल फीस के नाम पर अंग्रेजी लगान वसूलने लगा है. जिसके बाद असक्षम अभिभावकों का धैर्य जबाब देने लगा है.

प्रदेश में चलाया जा रहा अभियान
गौरतलब है कि नो स्कूल नो फीस को लेकर अभियान सिर्फ चन्दौली में नहीं, बल्कि प्रदेश भर में चलाया जा रहा है. जबकी निजी विद्यालयों का अपना अलग रोना है. ऐसे में सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है, कि एक स्पष्ट गाइडलाइन जारी कर बीच का रास्ता निकाले. ताकि स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच कड़वाहट खत्म हो सके. साथ ही एक सौहार्दपूर्ण माहौल में पठन-पाठन हो सके.

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