आरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट हरिराम ने दी जानकारी चंदौलीः आरपीएफ डीडीयू ने रेलवे स्टेशन से 21 बच्चों को पकड़ा है. इन बच्चों से वाराणसी में रेलवे के स्लीपर बनाने वाली कंपनी के अधिकारी बंधुआ मजदूरी करा रहे थे. आरपीएफ डीडीयू के अनुसार ये किसी तरह भागकर मुगलसराय स्टेशन पहुंचे थे. इनमें 11 बच्चे नाबालिग और 10 बालिग बच्चे थे जिन्हें बचपन बचाओ संस्था को सुपुर्द कर दिया गया
आरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट हरिराम ने बताया कि आरपीएफ डीडीयू स्टेशन पर आपरेशन आहट अभियान चला रही थी. इस दौरान डीडीयू जंक्शन पर 21 किशोर एक साथ डरे सहमे घूमते हुए संदिग्ध अवस्था में दिखें. आरपीएफ पोस्ट डीडीयू के निरीक्षक संजीव कुमार ने उन बच्चों से पूछताछ की. बच्चों की बात सुनकर वो सकते में आ गए है.
किशोरों ने बताया कि वो पिछले एक साल से वाराणसी के लोहता स्थित खेमचंद्र कंक्रीट स्लीपर प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे थे. बच्चों ने बताया कि यह सभी रायगढ़ उड़ीसा के रहने वाले हैं. उन्हें सुपरवाइजर ने इस फैक्ट्री में यह कह कर भेजा था कि उन्हें 12 हजार महीने की सैलरी मिलेगी. लेकिन इन्हें महीनों तक बिना पैसे के डरा धमका कर काम कराया गया. इसलिये ये लोग फैक्ट्री से भाग कर आ गए हैं और अपने घर ओडिशा जाना चाहते है. उनके अन्य कई साथी अभी भी वहां फंसे हैं. जिनसे बंधुआ मजदूरी कराई जा रही है.
आरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट ने बताया कि सीनियर कमाण्डेन्ट के निर्देश पर आरपीएफ डीडीयू इंस्पेक्टर संजीव कुमार और बचपन बचाओ आंदोलन संस्था के को- ऑर्डिनेटर देशराज सिंह व कृष्ण शर्मा ने श्रम विभाग वाराणसी के साथ नाबालिग बच्चों की निशानदेही पर लोहता स्थित स्लीपर कंक्रीट फैक्ट्री पर छापेमारी की. यहां सीमेंट कंक्रीट का रेलवे का स्लीपर बनाया जाता है. जोकि एक प्राईवेट एजेंसी संचालित करती है. इसमें ओड़िसा से बालिग और नाबालिक बच्चों को लाकर या बुलाकर काम करवाया जाता है. सभी बच्चों को अग्रिम कार्यवाही के लिए बचपन बचाओ संस्था को सुपुर्द किया गया. वाराणसी जिला प्रसाशन से समन्वय स्थापित किया गया है. मामले में विधिक कार्रवाई की जा रही है.
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