मुरादाबाद: खेतों में पराली जलाने को लेकर जहां शासन और प्रशासन कई प्रयास कर रहे हैं, वहीं इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जिले में एसीसी, एनएसएस और स्कूली छात्र-छात्राओं ने अभियान चलाया हुआ है. इस अभियान के तहत छात्र-छात्राओं की टोली विद्यालय के शिक्षकों के साथ खेत-खेत पहुंचकर किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में बता रही है.
मिट्टी की उर्वरक शक्ति को करता है कम
केंद्र और राज्य सरकार किसानों से लगातार अपील कर रही है कि खेतों में पराली न जलाएं. इससे पर्यावरण को नुकसान तो होता ही है. साथ ही यह खेत की मिट्टी की उर्वरक शक्ति को भी कम कर देता है. इसके लिए जिले में एनसीसी, एनएसएस और स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक किया गया.
जानवरों के लिए करेंगे पराली का प्रयोग
पराली से उठने वाले धुएं से कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी गैस आसमान में फैल जाती है, जिससे आंख और सांस संबंधी बीमारियां होने का खतरा बना रहता है. छात्र-छात्राओं के द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान से किसानों ने भी संकल्प लिया है कि अब खेतों में न तो पराली जलाएंगे और न किसी को जलाने देंगे. पराली का उपयोग खाद बनाने और पशुओं के चारे के रूप में करेंगे.
किसानों को बताए पराली जलाने के नुकसान
किसानों से बात करते हुए जीनत ने बताया कि खेत में पराली जलाने से पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है. पराली जलाने से आसमान में ऑक्सीजन में कार्बन डाई ऑक्साइड घुल जाती है. इससे लोगों को सांस लेने में बहुत परेशानी होती है. साथ ही खेत में पराली जलाने से खेत के मित्र कीट जलकर राख हो जाते हैं और खेत की उर्वरक शक्ति नष्ट हो जाती है.
किसान ने लिया संकल्प, अब खेत में नहीं जलाएंगे पराली
किसान वाजिद का कहना है कि अब हम पराली नहीं जलाएंगे. किसी को कोई नुकसान हो इसलिए हम ऐसा काम नहीं करेंगे. आज के बाद हम खेत में पराली नहीं जलाएंगे.
किसानों पर हो रहा असर
जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ प्रदीप कुमार द्विवेदी का कहना है कि शासन ने निर्देश पर यह अभियान चलाया जा रहा है. इसमें जनपद के स्कूलों के शिक्षक और छात्र-छात्राएं बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. वे लोग खेत-खेत जाकर किसानों को पराली जलाने के नुकसान बता रहे है. इसके बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं. पिछले साल के मुकाबले इस साल बहुत कम मामले पराली जलाने के सामने आए हैं.