मुरादाबाद: किसानों का विरोध प्रदर्शन पूरे देश में चल रहा है. एक तरफ दिल्ली बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं. वहीं, दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियों द्वारा भी उन्हें समर्थन मिल रहा है. उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के द्वारा किसानों के आंदोलन पूरा समर्थन प्राप्त है. पार्टी, लगातार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का काम कर रही है. सोमवार को किसान संगठनों व राजनैतिक दलों द्वारा जिला मुख्यालयों पर बुलाए गए धरना प्रदर्शन में सपा ने पूरी ताकत झोंक दी. बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट के सामने बैठे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. समाजवादी पार्टी का किसानों को समर्थन वास्तव में किसानों का साथ देना है या कोई राजनीतिक स्टंट. इस मसले और किसान आंदोलन पर ईटीवी भारत ने मुरादाबाद से सांसद डॉ एसटी हसन से बातचीत की. उन्होंने किसान आंदोलन और इसके पीछे की राजनीति पर बे-बाकी से अपनी बात रखी.
सांसद डॉ. एसटी हसन से ईटीवी भारत ने किसान आंदोलन को लेकर खास बातचीत की. क्यों हो रहा है यह आंदोलन
मुरादाबाद से सपा के सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा कि यह सरकार लगातार गरीबों और किसानों का दोहन कर रही है. इस सरकार ने अपनी नीतियों की वजह से तमाम सेक्टरों को बर्बाद करने का काम किया है. उसी तरह से यह खेती और किसानी जैसे देश के सबसे बड़े सेक्टर को भी बर्बाद करने पर तुली है. अभी तक इस सेक्टर में पूंजीपतियों व कॉरपोरेट शाही का कोई हाथ नहीं था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी के समय लागू किए गए तीनों कानूनों की वजह से इस सेक्टर में भी कॉरपोरेट शाही व पूंजीवाद अब हावी हो जाएगा, जिससे देश की जनता को कहीं न कहीं परेशानी उठानी पड़ेगी.
उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन सिर्फ इसलिए नहीं है कि यह चीजें गलत हो रही है. किसानों का आंदोलन उन तमाम चीजों के लिए है, जिसके कारण सरकार की दमनकारी नीतियां अब परेशान करने पर तुली हुई है. दिल्ली में लाखों की संख्या में किसान आंदोलनरत है. फिर भी सरकार उन्हें किसी तरह की गारंटी तक नहीं दे पा रही है. यह आंदोलन पूरी तरह से सही है और देश के हित में है. हम लोग किसानों के साथ आखरी दम तक है.
एमएसपी पे बवाल क्यों
सांसद हसन ने कहा कि इस बिल में एमएसपी का कोई जिक्र नहीं है. मैंने ही लोकसभा में इस बिल का विरोध अपनी पार्टी की तरफ से अखिलेश यादव के बिहाफ पर किया था. सरकार कह रही है कि एमएसपी बरकरार रहेगी, लेकिन सिर्फ कहने से कुछ नहीं होता, किसानों को गारंटी चाहिए. अगर, किसानों को इस बात की गारंटी मिलती है कि एमएसपी बरकरार रहेगी तो यह बड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन अगर कहीं एमएसपी नहीं दिया जाता तो किसानों की फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान होगा.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा किसी भी सामान को बेचने के लिए अधिकतम मूल्य भी फिक्स होना चाहिए. नहीं, तो जब कॉरपोरेट के लोग इस सेक्टर पर हावी होंगे, तो वह सस्ते दामों में चीजों को खरीद कर, बड़े पैमाने पर भंडारण करके, उसे ऊंचे दामों पर बेचेंगे. कुल मिलाकर, केंद्र सरकार का हिडेन एजेंडा ही यही था कि एमएसपी को भी खत्म कर देते हैं. कारपेट हाउस सबसे सस्ता अनाज लेते और उसे ऊंचे से ऊंचे दरों पर बाजार में उतार देते.
क्या सपा ने सच में कोई काम नहीं किया
सांसद एसटी हसन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लिए बगैर कहा कि देखिए, इस बारे में शायद उनकी जानकारी कम है, इसलिए ही वह इस तरह के बयान देते रहते हैं. मुलायम सिंह यादव ने किसानों के लिए एक ऐसा बिल लागू करने का काम किया, जिसके जरिए किसी तरह का लोन बकाया होने पर उनके खेतों को नीलाम नहीं किया जा सकता. मंडी समिति में तमाम शुल्कों को माफ करने का काम किया गया. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने किसानों को 5 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा देने का काम किया, जो किसानों को आजतक मिल रहा है. अखिलेश यादव ने किसानों के लिए अन्य तमाम हितकारी योजनाओं को लागू करने के साथ-साथ गन्ना खरीद में एक साथ 80 रुपये की बढ़ोतरी की, लेकिन इस सरकार ने आजतक किसानों को ठगने का काम किया. गन्ने के लिए एक पैसा नहीं बढ़ाया. ऊपर से तमाम तरह की दिक्कतें पैदा की.
सरकार किसानों की मानेंगी या नहीं
इस सवाल पर सांसद एसटी हसन कहते हैं कि सरकार को तो मानना ही पड़ेगा. इस देश में 80 प्रतिशत आबादी किसानों की है. किसानों का आंदोलन बिल्कुल जायज है, इन्होंने बिजली के रेट बढ़ा दिए. किसानों के पंपिंग हाउस पर मीटर लगाने जा रहे हैं. डीजल और पेट्रोल का एक जैसा रेट हो रहा है. जबकि क्रूड ऑयल की कीमत बहुत कम है. इस तरह की जो चीजें हैं. यह कहीं न कहीं किसानों को आर्थिक तौर पर नुकसान पहुंचा रही हैं. उन्होंने कहा कि यह सरकार चाहते ही हैं कि किसान किसी न किसी तरह से बर्बादी के कगार पर पहुंच जाए. जब किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएगा, तो उनकी जमीनें तक हड़प ली जाएंगी. सरकार किसानों का साथ इसलिए नहीं दे रही है.
आंदोलन को समर्थन या राजनीतिक महत्वाकांक्षा
पहली बात तो यह बहुत साफ है कि लाखों की संख्या में किसान आंदोलन कर रहे हैं, तो कहीं न कहीं सब लोग उनके साथ दिल से हैं. सरकार को यह सोचना चाहिए कि कहां पर गलतफहमी हो गई. कहां पर चीजें हाथ से बाहर निकलने लगी. यही लोग हैं, जो हम लोगों पर आरोप लगा रहे हैं. बाकी इतने लोग क्या पूरी तरह से गलत ही है.
मास्टरस्ट्रोक क्या होगा
सांसद एसटी हसन ने कहा कि मास्टरस्ट्रोक तो किसान लगा रहे हैं. इन्हें कानून को वापस लेना चाहिए और वापस लेना ही पड़ेगा. क्योंकि यह भी जानते हैं कि अगर किसान बिगड़ गए तो बीजेपी का नामोनिशान में मिट जाएगा.