मुरादाबाद:कोरोना महामारी के संक्रमण काल के दौरान पूरे देश की स्वास्थ्य सेवाएं लगभग ठप पड़ गई थी. लोगों को केवल कोरोना वायरस से जुड़ी स्वास्थ्य सुविधाएं ही मिल पाईं. ऐसे में तमाम बीमारियों के इलाज के लिए मरीजों और तीमारदारों को परेशान होना पड़ा. सर्दियां शुरू होने के बाद से जिले के ग्रामीण और शहरी इलाकों में कुत्ते, बिल्लियों के साथ ही अन्य जानवरों के काटने की घटनाओं में तेजी आई है. मुरादाबाद जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी रही.
वैक्सीन मिलने में आई दिक्कतें
कोरोना संक्रमण काल में तकरीबन 9 माह तक मुरादाबाद को कुल 2430 एंटी रेबीज वैक्सीन ही लखनऊ को मिली. जबकि जिले में प्रतिमाह एक हजार एंटी रेबीज वैक्सीन की जरूरत पड़ती है. इसमें सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की डिमांड भी शामिल है. इसके अलावा जिला अस्पताल में भी एआरवी की अतिरिक्त जरूरत पड़ती है. इसका कोटा अलग से है.
कब-कब मिली वैक्सीन
मुरादाबाद में कुल 7 सीएचसी और पीएचसी हैं. दो दर्जन अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए ग्रामीण इलाकों में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 9 माह के दौरान किसी भी मरीज को एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगी. जिले के सीएचसी और पीएचसी पर हर माह 1 हजार एआरवी बॉयल का खर्च आता है. एक बॉयल में 4 मरीजों को डोज मिल पाती है.
नौ माह से एआरवी बॉयल का टोटा
जिले को नौ माह में से अप्रैल, मई, सितंबर, अक्टूबर, दिसंबर में ही एंटी रेबीज बॉयल लखनऊ से मिली हैं. जून, जुलाई, अगस्त, नवंबर में एआरवी का एक भी सीएमएसडी स्टोर को नहीं मिला. इस कारण जानवरों के हमले में घायल मरीजों और तीमारदारों को मुश्किल हो रही है. जिले के तमाम सीएचसी और पीएचसी में एआरवी वैक्सीन का टोटा है. यहां जानवरों के काटने से घायल मरीजों को सीधे जिला अस्पताल भेज दिया जाता है. जिला अस्पताल सबसे नजदीकी सीएचसी या पीएचसी से भी 15 से 20 किलोमीटर दूर है.