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मुरादाबाद: लॉकडाउन के बाद तमिल मजदूरों की कॉलोनी में पसरा सन्नाटा, कच्चे चावल खा रहे लोग

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Published : Mar 30, 2020, 7:55 PM IST

यूपी के मुरादाबाद जनपद में तमिलनाडु के प्रवासी मजदूरों की एक कॉलोनी में लॉकडाउन के बाद हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं. हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि यहां वर्तमान में रह रहे आठ परिवार कच्चे चावल खाने को मजबूर हैं.

conditions of tamil migrant workers
मुरादाबाद में कच्चे चावल खाने को मजबूर तमिल मजदूर.

मुरादाबाद: देश भर में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन का आज छठवां दिन है. प्रवासी मजदूरों के पलायन में आज जरूर कुछ कमी नजर आई है, लेकिन लॉकडाउन के चलते अब दैनिक मजदूरों के सामने मुश्किलें खड़ी होती दिख रही हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.
मुरादाबाद जिले के कटघर क्षेत्र में तमिलनाडु के प्रवासी मजदूरों की एक कॉलोनी में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं. लॉकडाउन के बाद कई प्रवासी मजदूर वापस चेन्नई लौट गए हैं, लेकिन अभी भी आठ परिवार इस कॉलोनी में रह रहे हैं. इन मजदूरों के पास स्थानीय आधार कार्ड और पहचान पत्र भी है और ये मतदान में भी हिस्सा लेते हैं, लेकिन काम न मिलने के चलते ये मजदूर परिवार अब बेहद मुश्किल हालात में हैं.


प्रवासी मजदूरों ने बसाई तमिल कॉलोनी

कटघर थाना क्षेत्र के शिवपुरी मोहल्ले से लगी तमिल कॉलोनी तमिलनाडु से आए प्रवासी मजदूरों द्वारा बसाई गई है. कई साल पहले बसाई गई इस कॉलोनी में अस्सी से ज्यादा परिवार रहते हैं और इनमें रहने वाले कई लोगों का जन्म भी यहीं हुआ है. होली के वक्त इस कॉलोनी के कई परिवार धार्मिक आयोजन के लिए तमिलनाडु गए थे, जो लॉकडाउन के चलते वहीं रुक गए.

मदद की आस में लोग.

कच्चे चावल खाने को मजबूर हुए लोग
लॉकडाउन की घोषणा हुई तो यहां रहने वाले कुछ परिवार अपने घरों को ताला लगाकर तमिलनाडु चले गए और आठ परिवार अभी भी यहीं रहकर जीवन यापन कर रहे हैं. शहर में कबाड़ बीनने के अलावा ये लोग मजदूरी भी करते है, लेकिन लॉकडाउन के बाद इनकी आमदनी के सारे रास्ते बंद है. घर में जो राशन था, वह समाप्त हो चुका है. ये परिवार जमा की गई लकड़ियों से चूल्हे पर खाना तैयार करते है. लिहाजा इस वक्त लकड़ियों का इंतजाम न होने के कारण ये कच्चे चावल खाने को मजबूर है.

मदद का इंतजार
बेहद तंगहाली में रहने वाले इन परिवारों में से अधिकतर परिवारों के पास स्थानीय पहचान पत्र, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज मौजूद हैं. चुनाव के वक्त ये परिवार मतदान भी करते हैं लेकिन अब मुश्किल की घड़ी में इनका साथ कोई नहीं दे रहा. कॉलोनी में कुछ बुजुर्ग महिलाओं की तबीयत खराब है, लेकिन दवाइयों का इंतजाम न होने के चलते ये घर में ही बैठी हैं.

कॉलोनी में पसरा सन्नाटा.

लोगों ने बयां किया दर्द
कॉलोनी के रहने वाले लोगों की मानें तो उन्हें अभी तक न तो कोई राशन मुहैया कराया गया है और न ही अभी तक कोई सहायता ही उपलब्ध कराई गई है. जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोशित लोगों की मांग है कि कॉलोनी में रहने वाले परिवारों को खाने-पीने का सामान मुहैया कराया जाए, जिससे इस मुश्किल वक्त में वे किसी तरह गुजर बसर कर सकें.

...आखिर कब मिलेगी मदद
तमिल कॉलोनी में कोरोना के खतरे के साथ दो वक्त के खाने की भी चिंता है. बचपन से ही यहां रह रहे ये लोग मुश्किल के समय अकेले छोड़ दिये जाने का दर्द लिए मदद का इंतजार कर रहे हैं. सरकार ने सभी गरीब परिवारों के लिए मदद के दावे किए हैं. ऐसे में ये मदद समय से अगर इन्हें भी मिले जाए तो इनको कुछ राहत जरूर मिलेगी.

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