मिर्जापुर: प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने के बाद महिलाओं को झोला व थैला बनाने का एक नया व्यवसाय मिल गया है. जिले में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं झोले का निर्माण करके अच्छी खासी आमदनी कर रही हैं. इनके झोलों की डिमांड जनपद के विभिन्न अंचलों के साथ ही विंध्याचल धाम में हो रही है. झोले के धंधा में तेजी आने से महिलाओं को मुनाफा होने के साथ बचत भी हो रही है, जिससे वो अपने परिवार का पालन पोषण अच्छी तरह कर रही हैं.
झोले की डिमांड ज्यादा होने पर महिलाएं घर बैठे कर रही हैं कमाई. इसे भी पढ़ें-फतेहपुर: अब अंधविश्वास नहीं विज्ञान का तर्क खोजेंगे छात्र, शिक्षकों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
महिलाएं घर बैठे कर कर रही हैं कमाई
आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही महिलाओं को आजीविका मिशन के तहत सहारा मिला है. इसके साथ ही उनके सपनों को पंख भी लग गए हैं. प्लास्टिक पर रोक लगने के बाद उनके व्यवसाय में भी तेजी आ गई है. सिटी ब्लॉक के हनुमान पड़रा में मेहनत करके झोले का निर्माण करने वाली महिलाएं अपने मेहनत की कमाई से खुश हैं.
झोलों की मांग बढ़ने से उनका मुनाफा बढ़ गया है. खुद की कमाई का चार पैसे मिलने से परिवार के लिए जरूरी चीजों के लिए तरसना नहीं पड़ रहा है. वहीं महिलाओं कहना है कि पहले हम लोग घर पर बैठे रहते थे, लेकिन अब हम लोग समूह बनाकर रोजगार में लग गए हैं. इससे हम लोग को खुश हैं और सरकार हम लोगों की सहायता कर रही है.
राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत महिलाएं कर रही हैं विभिन्न क्षेत्रों में काम
राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत जिले में सात हजार समूह का गठन किया गया है, जिसमें करीब 70 हजार महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं. आजीविका मिशन महिलाओं को हुनरमंद बना कर उन्हें रोजगार देने की एक सफल पहल है. इससे महिलाओं को स्वावलम्बी बनाया जा रहा है.
कई क्षेत्रों में हमारी महिलाएं समूह बनाकर काम कर रही हैं. इनको पहले प्रशिक्षण दिया जाता है, इसके बाद 33 से 35 महिलाएं एक साथ रहकर कार्य करती हैं.
-रमेश कुमार प्रियदर्शी, जिला मिशन प्रबन्धक