मिर्जापुर: कुएं के बारे में आपने बहुत देखा और सुना होगा. लेकिन क्या कभी आपने ऐसे कुएं देखे है जो पूरा महल जैसा हो. कुएं की बनावट नक्काशी ऐसी की इसके सामने बड़े-बड़े महल की वास्तुकला भी शर्मा जाए. इतनी खूबियों के बाद भी न तो इस कुएं के बारे में कहीं ज्यादा लिखा गया है न ही इस कुएं को सरकारी स्तर पर संरक्षित करने की जरूरत समझी गई. अब इस प्राचीन कुएं की धरोहर को बचाने के लिए नगर पालिका परिषद जीर्णोद्धार करा रहा है. शहर के तीन ऐसे कुएं हैं, जो कहने के तो कुआं है. लेकिन बनावट ऐसी कि किसी महल से कम नहीं लगता है. मुगल काल के समय सिटी कोतवाली के पास गुदरी का कुआं, छोटी गुदरी का कुआं और पक्की सराय का कुआं का निर्माण पानी पीने के अलावा व्यापारियों को ठहरने के उद्देश्य से बनाया गया था.
मिर्जापुर नगर पालिका क्षेत्र में लगभग 150 कुएं हैं
मिर्जापुर कभी कुओं का शहर हुआ करता था. नगर पालिका क्षेत्र में लगभग डेढ़ सौ कुआं है. इसमें तीन कुआं ऐसे हैं, जो पत्थरों की नक्काशी के बेजोड़ नमूने हैं. ऐसे कुएं देखने को नहीं मिलते हैं. सैकड़ों साल पुराने कुएं है. लोहे, कपड़े, बर्तन, कॉटन के व्यापारियों ने ठहरने और पानी पीने के उद्देश्य बनवाया था. तीन ऐसे कुएं जो शहर के मध्य गुदरी का कुआं, छोटी गुदरी का कुआं और पक्की सराय का कुआं है. जब व्यापारी आते थे. शहर में तब इसी कुएं के पास रुककर खाना बनाते और विश्राम करते थे. इन कुओं में कोई गंदगी या बरसात का पानी न जा सके, उसके लिए पत्थरों का नक्काशी से सभी तरफ का छावनी बनाया गया है. मगर कुछ सालों से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हो गया था. अब नगर पालिका ने इन कुओं को पहले जैसा बनाने का बीड़ा उठाया है.