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मिर्जापुर: किसानों की खड़ी फसल पर पुलिस-प्रशासन ने चलाई जेसीबी

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में रेलवे पर आरोप लगा है कि कानपुर से हावड़ा तक रेलवे चौड़ीकरण योजना के तहत रेलवे ट्रैक के किनारे किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया. किसानों का आरोप है कि रेलवे कम मुआवजा देकर जबरदस्ती तैयार फसल पर जेसीबी चलवाकर कब्जा कर रही है.

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Published : Sep 15, 2020, 5:07 PM IST

किसानों की खड़ी फसल पर चलाई जेसीबी
किसानों की खड़ी फसल पर चलाई जेसीबी

मिर्जापुर: जिले के अदलहाट थाना के बरीजीवनपुर गांव के किसानों की खड़ी फसल को पुलिस-प्रशासन ने जेसीबी से रौंदकर कब्जा लिया. बताया जा रहा है कानपुर से हावड़ा तक रेलवे चौड़ीकरण योजना के तहत रेलवे ट्रैक के किनारे किसानों की जमीन का रेलवे ने 2013 में अधिग्रहण किया था, जिसका कब्जा रेलवे को अभी तक नहीं मिला था. भारी संख्या में पुलिस फोर्स के साथ पहुंचे एसडीएम चुनार सुरेंद्र बहादुर सिंह ने जेसीबी की मदद से रेलवे ट्रैक का निर्माण कर रही कंपनी को कब्जा दिलवाया. किसानों का आरोप है कि रेलवे कम मुआवजा देकर जबरदस्ती तैयार फसल पर जेसीबी चलवाकर कब्जा कर रही है.

किसानों की खड़ी फसल पर चलाई जेसीबी

ये है पूरा मामला
डेडीकेटेड फ्रेट काॅरीडोर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के द्वारा रेल मार्ग हाबड़ा से कानपुर तक रेलवे चौड़ीकरण योजना के तहत रेलवे ट्रैक के किनारे किसानों की जमीन का रेलवे ने 2013 में अधिग्रहण किया था. मगर रेलवे का कब्जा नहीं हो पाया था. कंपनी को कब्जा दिलाने के लिए भारी संख्या में पुलिस फोर्स के साथ जिला प्रशासन ने जेसीबी की मदद से जमीन पर रेलवे ट्रैक का निर्माण कर रही कंपनी को कब्जा दिलवाया. इस दौरान किसानों की जमीन पर बोई गई फसल को पूरी तरह से जेसीबी से रौंद दिया गया. किसानों का आरोप है कि अभी तक उन्हें जमीन का मुआवजा नहीं मिला है. रेलवे बिना सूचना दिए जबरदस्ती उनकी जमीन पर कब्जा कर रहा है. किसानों के मुताबिक इस जमीन के लिए उन्हें 4 लाख रुपये बीघा की दर से रेलवे मुआवजा दे रहा है, जोकि कम है. जबकि इस इलाके की जमीन की कीमत इससे पांच गुना अधिक है. किसानों ने मांग की कि चार गुना मुआवजा देने के साथ बर्बाद फसल का भी मुआवजा दिया जाए. किसानों ने बताया कि रेलवे द्वारा भूमि अधिग्रहण के बाद बिना सूचना दिए खेतों में लगाए गए धान, अरहर, टमाटर, पशुचारा, परवल, पालक और गोभी की फसल को बुलडोजर चलाकर बर्बाद कर दिया गया.

हालांकि मौके पर मौजूद एसडीएम का कहना है कि जमीन का अधिग्रहण 2013 में हुआ था. उस समय के हिसाब से मुआवजा दिया गया है. लगभग 90 प्रतिशत काश्तकारों ने जमीन का मुआवजा ले लिया है, कुछ किसानों का मुआवजे को लेकर कोर्ट में मुकदमा चल रहा है.

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