मिर्जापुर:देश की बेटियां आज भारत का नाम रोशन कर रही हैं. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां लड़कियों और महिलाओं ने अपना लोहा नहीं मनवा रहीं हों. हम बात कर रहे हैं मिर्जापुर जनपद के राजगढ़ ब्लाक के सोनपुर छोटे से गांव की रहने वाली किसान की बेटी केएम चंदा की. उन्होंने गांव के उबड़ खाबड़ रास्ते और खेतों की मेड़ों पर दौड़ना शुरू किया था, लेकिन अब देश का नाम रोशन कर रही हैं. उन्होंने 25वें एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में सिल्वर मेडल जीता था.
अब केएम चंदा 23 सितंबर से चीन के हांग्जो शहर में प्रारंभ हो रहे एशियाई खेल 2023 में गोल्ड मेडल जीतने की तैयारी के साथ उतरेंगी. एशियाई खेल 2002 में भारत की केएम बीनामोल ने 2:04.17 मिनट में 800 मीटर की रेस पूरी कर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था. इसके बाद पिछले बीस वर्षों में किसी भारतीय महिला एथलीट को गोल्ड मेडल नहीं मिला.
चीन के हांग्जो शहर में प्रारंभ हो रहे एशियाई खेल 2023 में इस बार देश की निगाहें महिला एथलीट केएम चंदा पर होंगी. अंतरराष्ट्रीय एथलीट केएम चंदा को यहां तक पहुंचाने में कोच कुलबीर सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. कुलबीर सिंह का कहना है चीन में हो रहे एशियाई खेल में भारत के लिए चंदा गोल्ड मेडल जीतकर सूखेपन को दूर कर सकती हैं. अब तक के 800 मीटर इवेंट में जो खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीते हैं, उनमें एक को छोड़कर चंदा की टाइमिंग अन्य से कम है. हमें पूरी उम्मीद है कि वह गोल्ड जीत सकती हैं.
अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाई:चंदा ने इस वर्ष थाइलैंड के बैंकॉक शहर में 12 से 16 जुलाई के बीच संपन्न हुए एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 के 800 मीटर ट्रैक इवेंट में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता था. इसमें वह गोल्ड मेडल अपने नाम करने से चूक गई थीं. केएम चंदा पिछले वर्ष कजाकिस्तान में हुई कोसानोव मेमोरियल इंटरनेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2022 में देश के लिए 800 व 1500 मीटर में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं.