मिर्जापुर:लॉकडाउन में कामकाज ठप होने से बाहर से प्रवासी मजदूरों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था. काम न मिलने से अधिकांश गरीब ग्रामीणों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट पैदा हो गया था. ऐसे में मनरेगा से संबंधित काम शुरू हो जाने से प्रवासी मजदूरों को गांव में ही रोजगार मिलने लगा है. मजदूरों को तत्काल जॉब कार्ड बनाकर उन्हें गांव में ही काम दिया जा रहा है. पुरुषों के साथ महिलाओं को भी काम मिलने लगा है. इससे जहां एक तरफ गांव के विकास कार्यों को मनरेगा से गति मिल रही है तो वहीं आर्थिक तंगी झेल रहे मजदूरों के हाथों में भी रोजगार मिल रहा है, जिससे उनका परिवार चल रहा है.
38 हजार श्रमिकों को मिला काम
सीडीओ अविनाश सिंह ने बताया कि जनपद के 809 ग्राम पंचायतों में युद्ध स्तर पर काम शुरू हो गया है. इसमें तकरीबन 38 हजार श्रमिक काम कर रहे हैं. श्रमिकों को काम देने के मामले में मिर्जापुर का प्रदेश में छठवां स्थान है. जिले में प्रवासी मजदूरों को तत्काल कार्ड बनाकर गांव में ही रोजगार दिया जा रहा है, जिससे गांव के विकास कार्यों को मनरेगा से गति मिलेगी.
बेरोजगारों के हाथों में रोजगार
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से कई मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. उनके सामने खाने-पीने और रहने की समस्या खड़ी हो गई है. ऐसे समय में आर्थिक तंगी झेल रहे मजदूरों को काम मिलने से उनका जीवनयापन चलने लगा है. प्रवासी मजदूरों ने बताया कि पहले वे बाहर काम करते थे, जिससे वह परिवार से दूर रहते थे. बड़ी परेशानियों का सामना करते थे, लेकिन अब गांव में ही रोजगार मिलने से उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ेगा.
मनरेगा बना मजदूरों का सहारा
लॉकडाउन में 'मनरेगा' मजदूरों के लिए आशा की किरण बनता जा रहा है, जहां एक तरफ देश में लॉकडाउन के चलते लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए तो वहीं गांव में 'मनरेगा' के तहत कई मजदूरों को रोजगार मिलने लगा है. इससे उनका परिवार चल रहा है. लॉकडाउन में तमाम लोग देश के कई राज्यों में फंसे हुए हैं. प्रवासी मजदूर धीरे-धीरे घर वापस लौट रहे हैं, लेकिन उनके सामने रोजगार की समस्या खड़ी हो गई है.