मिर्जापुर: समाजवादी पार्टी शासनकाल में प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा घोषित आई स्पर्श गांव नगवासी के विकास कार्यों की हकीकत किसी से छिपी नहीं है. जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर नगवासी ग्राम पंचायत शुरुआत से ही पिछड़ा और विकास से अछूता क्षेत्र रहा है.
नगवासी गांव की बत्तर हालात को देखते हुए वहां की महिला प्रधान ने साल 2016 में विकास को लेकर एक ट्वीट किया था. उनका ट्वीट देख तत्कालिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नगवासी गांव को प्रदेश का पहला आई स्पर्श गांव 14 फरवरी 2016 घोषित कर दिया. अखिलेश यादव की सरकार रहते ही गांव के लिए साल 2017 में पहला बजट भी पास हो गया, लेकिन सरकार का कार्यकाल खत्म होते ही गांव की दशा फिर से बदहाली के कगार पर पहुंच गई.
शहर की तर्ज पर नगवासी गांव का होना था विकास. शहर की तर्ज पर गांव का होना था विकास
नगवासी गांव जब आई स्पर्श गांव घोषित हुआ था, तब यहां दर्जनों अधिकारी आवाजाही लगाए रहते थे. इसके अलावा गांव में आए दिन चौपाल लगती रहती थी. विकास के लिए अधिकारी ग्रामीणों की छोटी सी समस्या पर ग्राम पंचायत के पास पहुंच जाते थे, लेकिन जैसे ही सूबे में सरकार बदली नगवासी गांव से विकास कार्य के नाम पर खानापुर्ती होती दिखाई दी. सरकार रहते पहला बजट तो गांव को मिला, जिसमें काफी हद तक कार्य हुआ, लेकिन दूसरा बजट सरकार जाते ही रुक गया. तब यहां अधिकारियों की आवाजाही भी न के बराबर रह गई थी.
इस गांव को लगभग 12 से 15 करोड़ का बजट रखा गया था. सभी विकास कार्य विभाग से होने थे. सरकार रहते कुछ काम हुआ, लेकिन सरकार बदलते ही काम रुक गया. गांव में यह कार्य होने थे.
- गांव में बिजली पोल लगवाना.
- घर-घर नल से पानी पहुंचाना.
- टंकी लगवाना.
- सीसी रोड निर्माण.
- सड़कों पर हुए गड्ढों की मरम्मत.
- 100 बेड का अस्पताल.
यह सभी विकास कार्य अधर में लटके हुए हैं. नगवासी गांववासियों को आए दिन समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है. विकास कार्यों में 100 बेड का अस्पताल भी शामिल था, जिसके लिए अब तक जिला प्रशासन जमीन नहीं तलाश पाई है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉलिंग के जरिए जाना गांव का हाल
अपने कार्यकाल में रहते हुए नगवासी गांव में विकास कार्यों की नींव रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज भी इस गांव को नहीं भूले हैं. 17 जून को यहां की प्रधान दीपिका शुक्ला और गांव वालों से अखिलेश यादव ने वीडियो कॉलिंग कर बात की. पूर्व मुख्यमंत्री ने पूछा कि गांव का विकास हो रहा है या रुका हुआ है? उन्होंने कहा कि हमने खबर पड़ी थी कि गांव का विकास रुक गया है, इसलिए आप लोगों से आज बात करनी पड़ी.
विकास के लिए दो चरणों में जारी होना था पैसा
स्थानीय निवासी फूलचंद ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस गांव को जब आई स्पर्श गांव घोषित किया था, तब अधिकारी विकास की रेखा खींचते थे. उस समय 5 किलोमीटर काली रोड, 10 किलोमीटर सीसी रोड, गांव में पानी टंकी पूरे गांव में 10 ट्रांसफार्मर लगाने को कहा था. इसके लिए दो चरणों में पैसा जारी होना था. इसके अलावा अस्पताल और शहर की तर्ज पर मूलभूत सुविधा गांव वालों को देने को कहा गया था, लेकिन आज सबकुछ ठप है.
अगली किस्त जारी होने से पहले सरकार बदल गई
ग्रामीण विमला शंकर का कहना है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में एक किस्त का पैसा जारी होने के बाद काम शुरू हुआ, लेकिल अगली किस्त जारी होने से पहले ही प्रदेश में सरकार बदल गई, जिससे विकास कार्य रुक गया. 10 ट्रांसफार्मर के जगह तीन ट्रांसफार्मर यहां पर लगे हुए हैं. 10 किलोमीटर की सड़क में केवल 5 किलोमीटर काम हुआ है.
इस बारे में गांव के प्रधान पति विजय का कहना है कि गांव को शहर की तर्ज पर बनाने की बात हुई थी. इसके अलावा जितनी योजना केंद्र सरकार चला रही है, उन सभी का जिले लेवल से क्रियान्वयन कराकर इसको संपूर्ण विकास में ले जाना है.
मौजूदा सरकार गांव के लिए कुछ नहीं कर रही
प्रधान दीपिका शुक्ला ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉलिंग के जरिए गांव में होने वाले विकास कार्यों का जायजा लिया. पूर्व सीएम को बताया गया कि गांव में मंदिर निर्माण का कार्य चल रहा है. काली सड़कें बन गई हैं. उन्हें यह भी बताया गया कि दूसरा बजट रुकने से विकास कार्यों में रूकावट आई है. प्रधान ने कहा कि इस गांव के लिए जो अखिलेश सरकार ने कर दिया, वह यह सरकार नहीं कर रही है.
लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा योजनाओं का लाभ
इस बारे में मुख्य विकास अधिकारी अविनाश सिंह का कहना है कि जनपद के सभी गांव में केंद्र सरकार की सभी योजनाओं के लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. तेजी से काम हो रहा है. सरकार के निर्देशानुसार सभी गांव में विकास हो रहा है. नागवासी गांव में भी इसी के तहत काम हो रहा है, सभी को लाभ पहुंचाया जा रहा है.