मिर्जापुर: 27 सालों से देश में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं 'साइकिल वाले गुरुजी'
फर्रुखाबाद के आदित्य कुमार पिछले 27 साल से देश में घूम-घूमकर गरीब बच्चों को शिक्षा देने के काम में लगे हैं. इसी सिलसिले में वह मिर्जापुर के गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने पहुंचे. लोग उन्हें साइकिल वाले गुरुजी के नाम से भी पुकारते हैं.
शिक्षा की अलख जगा रहे हैं साइकिल वाले गुरुजी.
मिर्जापुर: किसी ने क्या खूब लिखा है... अशिक्षित को शिक्षा दो, अज्ञानी को ज्ञान…शिक्षा से ही बन सकता हैं, भारत देश महान. स्वतंत्र भारत में आज भी ऐसे लोग हैं, जो अपने विशिष्ट योगदान के चलते स्वतंत्रता के सारथी बने हुए हैं. ऐसे ही हैं फर्रुखाबाद के आदित्य कुमार जो देश में शिक्षा का अलख जगाने के लिए साइकिल से ही भारत भ्रमण पर निकले हैं. आदित्य कुमार को लोग साइकिल वाले गुरुजी के नाम से पुकारते हैं.
साइकिल वाले गुरुजी
फर्रुखाबाद के छोटे से गांव सलेमपुर के रहने वाले आदित्य कुमार देश के गरीब बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगाने में लगे हुए हैं. आदित्य कुमार अपना घर छोड़कर 27 सालों से साइकिल पर घूम कर जरूरतमंद बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने में लगे हुए हैं. आदित्य कुमार को लोग साइकिल वाले गुरु जी के नाम से भी पुकारते हैं. आदित्य कुमार का नाम न केवल कई रिकॉर्ड बुक में दर्ज है, बल्कि आदित्य कुमार को कई राज्यों में सम्मानित भी किया जा चुका है.
बिना तनख्वाह के काम करते हैं साइकिल वाले गुरुजी
आज के युग आदित्य कुमार बिना तनख्वाह के काम करतें हैं. आदित्य ने देश को सौ फीसदी शिक्षित और साक्षर बनाने का संकल्प लिया है. बचपन में खुद की पढ़ाई-लिखाई के लिए माता-पिता की ओर से किए गए संघर्ष और उनकी पीड़ा ने आदित्य को इस कदर झकझोर दिया कि वह घर-परिवार को त्यागकर साइकिल के सहारे बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने निकल पड़े हैं.
आदित्य ने 5 लाख किलोमीटर चलाई साइकिल
आदित्य ने बताया कि शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करते 27 वर्ष कब निकल गए, इसका उन्हें पता भी नहीं चला. आदित्य ने बताया कि वह अब तक वह पांच लाख किलोमीटर साइकिल चलाकर देश के विभिन्न प्रांतों का चक्कर काट चुके हैं. इन दिनों साइकिल गुरु के नाम से विख्यात आदित्य यूपी के मिर्जापुर में बच्चों को शिक्षा और साक्षरता के प्रति जागरूक कर रहे हैं. आदित्य पूरे जीवन अविवाहित रहकर देश को साक्षर बनाने का संकल्प लेकर दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ रहे हैं. हालात चाहे जैसे भी रहे हो, लेकिन आदित्य अपने मिशन से भटक नहीं रहे हैं.
साइकिल वाले गुरु जी ने लगाई डेढ़ लाख से अधिक पाठशाला
आदित्य देश के 29 राज्य में अब तक डेढ़ लाख से अधिक पाठशाला लगा चुके हैं. भ्रमण के दौरान लोग उन्हे कुछ पैसा उपहार स्वरूप दे देते हैं, उसी से वह भोजन कर लेते हैं. किसी ने आदित्य के रुकने की व्यवस्था कर दी तो ठीक नहीं तो वह फुटपाथ पर चादर बिछा कर सो जाते हैं. मिर्जापुर में इस समय आदित्या झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं. आदित्य इस समय यूपी के हर जिले में घूम-घूम कर पाठशाला चला रहे हैं. आदित्य यात्रा के दौरान पाठशाला ही नहीं लगाते हैं, बल्कि बच्चों के अभिभावकों को प्रेरित भी करते हैं कि वह अपने बच्चों को स्कूल भेंजे, जिससे कोई बच्चा अशिक्षित न रह पाए.आदित्य कुमार का कहना है कि उन्होंने 1992 से ही अपनी साइकिल को चलता-फिरता स्कूल बना रखा है. आदित्य ने बताया कि मेरा जन्म फर्रुखाबाद में हुआ है, लेकिन मैंने शिक्षा के प्रति जागरूक करने की शुरुआत लखनऊ में ट्यूशन पढ़ा कर की. मेरे माता-पिता ने गरीबी के बावजूद भी मुझे पढ़ाया और यहां तक पहुंचाया. अब मैं घर छोड़कर भारत देश को साक्षर करने में लगा हूं. उन्होंने बताया कि वह ज्यादातर गरीब और मलिन बस्तियों में जाते हैं और वहा बच्चों को पढ़ाते हैं.
जब तक है सांस तब तक चलेगा मिशन
आदित्य ने बताया कि वह 2 लोगों को तैयार करते हैं, जो इस मिशन को आगे बढ़ा सकें. आदित्य कुमार को कई राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों द्वारा सम्मानित किया गया है. साथ ही आदित्य को राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 57 वर्ल्ड रिकॉर्ड, सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं. आदित्य कुमार का कहना है कि जब तक सांस है तब तक वह इस मिशन से पीछे नहीं हटेंगे. वह इसी तरह बच्चों में शिक्षा की अलख जगाते रहेंगे.
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST