मेरठ: चिपको आंदोलन के प्रणेता और हिमालय रक्षक सुंदरलाल बहुगुणा का शुक्रवार को कोरोना संक्रमण से निधन हो गया. 93 साल की आयु में उन्होंने ऋषिकेश एम्स में अंतिम सांस ली. उनके निधन से जहां परिजनों में कोहराम मचा हुआ है. वहीं पर्यावरण प्रेमियों में भी शोक की लहर है. सुंदर लाल बहुगुणा का मेरठ शहर से भी गहरा नाता रहा है. वह पर्यावरण से जितना प्रेम करते थे, उतनी ही सादगी पसंद थी. मेरठ के एनएएस कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रज्ञा पाठक के सुदंरलाल बहुगुणा सगे मौसा थे. पहली बार वह डॉ. प्रज्ञा को शादी में आए थे. उन्होंने अंतरजातीय विवाह का समर्थन किया था. खास बात ये है कि वे जब भी कभी मेरठ आते थे, तो अपना सामान कंधों पर रखकर चलते थे. वे कभी भी अपना सामान दुसरों से नहीं उठवाते थे.
कोरोना से सुंदरलाल बहुगुणा का निधन
आपको बता दें कि सुंदर लला बहुगुणा कोरोना संक्रमित होने पर 8 मई को ऋषिकेश एम्स में भर्ती किए गए थे. जहां ऑक्सीजन लेवल बहुत कम होने से उनकी स्तिथि नाजुक बनी हुई थी. शुक्रवार की सुबह उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन पर्यावण विद्द के रूप में वे सदैव लोगों के दिलो में जिंदा रहेंगे.
चिपको आंदोलन से लोगों के दिलो में रहेंगे जिंदा
उन्होंने सत्तर के दशक में गौरा देवी और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन चलाया था, जिसके चलते वे पद्मविभूषण व कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित हुए. सुंदर लाल बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी बढ़-चढ़ कर विरोध किया और 84 दिन लंबा अनशन भी रखा था. एक बार उन्होंने विरोध में अपना सिर भी मुंडवा लिया था. सुंदरल लाल बहुगुणा चिपको आंदोलन के लिए हमेशा याद रखे जाएंगे. जंगलों के कटान होने पर उन्होंने पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरुआत कर बड़े जनआंदोलन में बदल दिया था.